अलग है संगरूर के मतदाताओं का मिजाज… ये जिताने के लिए नहीं, हराने के लिए देते हैं वोट
चुनावी रंग: कुछ अलग है संगरूर के मतदाताओं का मिजाज… ये जिताने के लिए नहीं, हराने के लिए देते हैं वोट
आम विधानसभा चुनाव 2022 के तुरंत बाद संगरूर संसदीय उपचुनाव हुआ था। संसदीय सीट की सभी नौ विधानसभा सीटों पर विस चुनाव में युवाओं ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में एकतरफा जनादेश दिया था। मुख्यमंत्री भगवंत मान की धूरी सीट भी इसी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। बावजूद इसके आम आदमी पार्टी को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
संगरूर संसदीय सीट का पूरा दारोमदार युवा मतदाताओं पर टिका है। इस सीट पर 49 वर्ष से कम आयु के मतदाताओं की संख्या करीब 68 फीसदी है, जबकि 39 वर्ष से कम आयु के पचास फीसदी मतदाता हैं। ऐसा भी नहीं है कि युवा मतदाता हमेशा युवा उम्मीदवार को ही तरजीह देता है।
करीब पौने दो साल पहले इन्हीं नौजवान मतदाताओं ने 77 वर्षीय सिमरनजीत सिंह मान को संसद भेजा था। तब शुरुआती दौर में हर कोई सांसद मान को हल्के में ले रहा था, लेकिन सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने पूरी तस्वीर ही बदल कर रख दी थी।
संगरूर संसदीय सीट पर सबसे अहम बात प्रख्यात है कि यहां के मतदाता, जिताने के लिए नहीं बल्कि हराने के लिए मतदान करते हैं। मतदान से पहले वोटर, तय कर लेते हैं कि किन प्रत्याशियों को हराना है। संगरूर के मतदाताओं का मिजाज आभास दिलाता है कि वे सबक सिखाने में विश्वास रखते हैं। उनके लिए बड़ी पार्टी या बड़ा चेहरा कोई मायने नहीं रखता है। अर्श से फर्श पर पटकने में यहां के मतदाता देरी नहीं करते।
49 वर्ष से कम मतदाताओं की संख्या साढ़े दस लाख
इन नौ विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी की जीत का कुल मार्जिन करीब चार लाख वोट था, लेकिन संगरूर के मतदाताओं ने ऐसा गच्चा दिया कि खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान हैरान रह गए थे। यहां के युवा मतदाता ही रातों रात समीकरण बदल देते हैं। संगरूर संसदीय सीट पर कुल साढ़े पंद्रह लाख मतदाता हैं। 49 वर्ष से कम मतदाताओं की संख्या साढ़े दस लाख है। 39 वर्ष से कम आयु के साढ़े सात लाख मतदाता हैं। 50 वर्ष से ज्यादा आयु के मात्र पांच लाख मतदाता ही हैं। बहरहाल, संगरूर का युवा मतदाता फिलहाल शांत है और मतदान से कुछ समय पूर्व ही नौजवान वर्ग अपने पत्ते खोलता है। यह आने वाला वक्त ही बताएगा कि युवा मतदाता यहां की सियासी तस्वीर को कैसा आकार देंगे।