कैसे हुई करवाचौथ की शुरूआत, महाभारत से क्या है कनेक्शन? कब निकलेगा चांद
हिंदू धर्म में करवाचौथ का बड़ा ही महत्व है। यह व्रत हर साल कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन सुहागिनें पति की लंबी उम्र के लिए निर्जरा का व्रत रखती है और शाम के समय पूजा के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर व्रत का पारण करती हैं। अब तो कुंवारी लड़कियों में इस व्रत को करने का क्रेज बढ़ रहा है, जो कि शाम को तारों की छांव में अपने व्रत का पारण करती हैं। करवाचौथ का व्रत बहुत कठिन माना जाता है।
करवाचौथ पर चंद्रोदय का समय
पहली नवंबर को करवाचौथ वाले दिन चंद्रोदय 8:26 बजे पर होगा। इस दिन शाम 5:44 से 7:02 तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
करवाचौथ की पूजा विधि
करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करके दीपक जलाएं। फिर देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करें और निर्जला व्रत का संकल्प लें। शाम के समय पुन: स्नान के बाद जिस स्थान पर आप करवाचौथ का पूजन करने वाले हैं, वहां गेहूं से फलक बनाएं और उसके बाद चावल पीस कर करवा की तस्वीर बनाएं। इसके बाद आठ पूरियों की अठवारी बनाकर उसके साथ हलवा या खीर बनाएं और पक्का भोजन तैयार करें। इस पावन दिन शिव परिवार की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में पीले रंग की मिट्टी से गौरी कि मूर्ति का निर्माण करें और साथ ही उनकी गोद में गणेश जी को विराजित कराएं। अब मां गौरी को चौकी पर स्थापित करें और लाल रंग कि चुनरी ओढ़ा कर उन्हें शृंगार का सामान अर्पित करें। मां गौरी के सामने जल से भरा कलश रखें और साथ ही टोंटीदार करवा भी रखें जिससे चंद्रमा को अघ्र्य दिया जा सके। इसके बाद विधि पूर्वक गणेश गौरी की विधिपूर्वक पूजा करें और करवा चौथ की कथा सुनें। कथा सुनने से पूर्व करवे पर रोली से एक सतिया बनाएं और करवे पर रोली से 13 बिंदिया लगाएं। कथा सुनते समय हाथ पर गेहूं या चावल के 13 दाने लेकर कथा सुनें। पूजा करने के उपरांत चंद्रमा निकलते ही चंद्र दर्शन के उपरांत पति को छलनी से देखें। इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपने व्रत का पारण करें।
करवाचौथ व्रत की मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। सबसे पहले श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने पांडवों के प्राण की रक्षा के लिए इस व्रत को किया था। कहा जाता है कि द्रौपदी के व्रत रखने के कारण ही पांडवों के प्राण पर कोई आंच नहीं आई थी। इसलिए कहा जाता है कि हर सुहागिन स्त्री को अपने पति की रक्षा और लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखना चाहिए। साथ ही इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और आपसी संबंध मधुर होते हैं।
करवाचौथ का चांद कितने बजे दिखेगा
शिमला : चंद्रोदय रात 08 बजकर 07 मिनट पर होगा।
दिल्ली : चंद्रोदय रात 08 बजकर 15 मिनट पर होगा।
मुंबई : चंद्रोदय रात 08 बजकर 59 मिनट पर होगा।
पुणे : चंद्रोदय रात 08 बजकर 56 मिनट पर होगा।
कोलकाता : चंद्रोदय रात 07 बजकर 46 मिनट पर होगा।
पटना : चंद्रोदय रात 07 बजकर 51 मिनट पर होगा।
लखनऊ : चंद्रोदय रात 08 बजकर 05 मिनट पर होगा।
वडोदरा : चंद्रोदय रात 08 बजकर 49 मिनट पर होगा।
कानपुर : चंद्रोदय रात 08 बजकर 08 मिनट पर होगा।
प्रयागराज : चंद्रोदय रात 08 बजकर 05 मिनट पर होगा।
बनारस : चंद्रोदय रात 08 बजकर 00 मिनट पर होगा।
जयपुर : चंद्रोदय रात 08 बजकर 19 मिनट पर होगा।
जोधपुर : चंद्रोदय रात 08 बजकर 26 मिनट पर होगा।
उदयपुर : चंद्रोदय रात 08 बजकर 41 मिनट पर होगा।
भोपाल : चंद्रोदय रात 08 बजकर 29 मिनट पर होगा।
जबलपुर : चंद्रोदय रात 08 बजकर 19 मिनट पर होगा।
अहमदाबाद : चंद्रोदय रात 08 बजकर 50 मिनट पर होगा।
देहरादून : चंद्रोदय रात 08 बजकर 06 मिनट पर होगा।
चेन्नई : चंद्रोदय रात 08 बजकर 43 मिनट पर होगा।
बेंगलुरु : चंद्रोदय रात 08 बजकर 54 मिनट पर होगा।
रांची : रात 07 बजकर 56 मिनट पर होगा।
रायपुर : चंद्रोदय रात 08 बजकर 17 मिनट पर होगा।