पूर्व मंत्री ने सरकार पर लगाए ग्रीन एनर्जी घोटाले के आरोप
पूर्व मंत्री ने सरकार पर लगाए ग्रीन एनर्जी घोटाले के आरोप
प्रदेश में ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है। सरकार जल्द इस स्कैम की जांच करवाए, नहीं तो भाजपा बड़े आंदोलन का आगाज करेगी। ये आरोप पूर्व मंत्री व भाजपा नेता विक्रम सिंह ठाकुर ने प्रदेश सरकार पर लगाए हैं। भाजपा नेता ने प्रदेश सरकार पर निजी लाभ के लिए जनता व हिमाचल के हितों को गिरवी रखने के भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 15 अप्रैल, 2024 को ऊना जिले के पेखुवेला में 32 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट का उद्घाटन किया था, जिसकी कुल लागत 220 करोड़ रुपए बताई गई थी। इसी तरह का 35 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट गुजरात में मात्र 144 करोड़ रुपए में पूरा हो गया, जबकि हिमाचल में तीन मेगावाट कम का प्रोजेक्ट 76 करोड़ रुपए अधिक में लगाया गया। यह भारी अंतर दर्शाता है कि इस प्रोजेक्ट में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं।
वहीं गुजरात में इस प्रोजेक्ट का निर्माण करने वाली कंपनी अगले 10 साल तक इस प्रोजेक्ट की मरम्मत तथा रखरखाव की भी जिम्मेदार ले रही है, जबकि हिमाचल में लगे एकमात्र प्रोजेक्ट के रखरखाव की अवधि मात्र आठ साल है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि इतनी अधिक लागत कैसे बढ़ गई। पेखूवेला प्लांट को बरसात के दिनों में काफी नुकसान पहुंचा था तथा यह मात्र 50 प्रतिशत उत्पादन के साथ काम कर रहा है। इस हिसाब से अगर 2.90 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली मिलती भी है, तो 25 साल तक भी इस प्रोजेक्ट की लागत पूरी नहीं हो पाएगी, जबकि ऐसे प्रोजेक्ट 20 या 25 साल तक के लिए ही होते हैं। उन्होंने बताया कि इस ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट के नाम पर प्रदेश सरकार ने 500 करोड़ रुपए का लोन लिया, जिससे चार प्लांट लगा सकते थे। वहीं सीमेंट के दाम एक माह में 40 रुपए तक बढ़ा दिए।
परियोजनाओं में देरी पर पांच करोड़ की पेनल्टी
चंबा जिला के पांच हाइडल प्रोजेक्ट्स में देरी के कारण वल्र्ड बैंक ने राज्य पर पांच करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई है। श्री ठाकुर ने कहा कि एक अधिकारी ने जानबूझ पावर परचेज एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर नहीं किए, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश को महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है।