जिंदगी बदलने के लिए इस महिला ने किया आंदोलन, मिला रेमन मैग्सेसे पुरस्कार

लड़कों के साथ लड़कियों को भी स्कूल जाने, शिक्षा हासिल
जब एक बेटी स्कूल जाती है तो उसके साथ पूरी पीढ़ी सशक्त होती है। इसी विचार के साथ भारत में शिक्षा बराबरी का अधिकार देती है। लड़कों के साथ लड़कियों को भी स्कूल जाने, शिक्षा हासिल करने और अपना करियर बनाने की स्वतंत्रता है। हालांकि कई परिवारों में आज भी बेटियों को घर की चार दीवारी और रसोई तक सीमित रखा जाता है। इसी सोच के साथ राजस्थान के छोटे-छोटे गांवों से शुरू हुआ एजुकेट गर्ल्स आज एक क्रांति बन चुका है। सफीना हुसैन के नेतृत्व में यह संगठन 30,000 गांवों तक पहुँच चुका है और 14 लाख से ज्यादा लड़कियों को स्कूल वापस भेज चुका है। इस संघर्ष और उपलब्धि ने इतिहास रच दिया है, जब एजुकेट गर्ल्स को एशिया का नोबेल कहा जाने वाले रैमन मैग्सेसे अवार्ड मिला। इसी के साथ एजुकेट गर्ल्स पुरस्कार पाने वाला भारत का पहला NGO बन गया है
। सफीना हुसैन ने 50 गांवो से की शुरुआत
2007 में सैन फ्रांसिस्को से भारत लौटकर सफीना हुसैन ने राजस्थान में Educate Girls की नींव रखी। उनका मकसद था उन दीवारों को तोड़ना जो बेटियों को शिक्षा से रोकती थीं जैसे गरीबी, बाल विवाह और पितृसत्ता। शुरुआत सिर्फ 50 गांवों से हुई, लेकिन यह आंदोलन जल्द ही पूरे देश की आशा बन गया।
वालंटियर्स ने बढ़ाया कार्य
Educate Girls की रीढ़ उसकी टीम है, यानी स्थानीय वालंटियर्स, जिन्हें प्रेरक कहा जाता है। ये घर-घर जाकर उन बच्चियों को खोजते जो स्कूल से बाहर रह गई थीं। वे उनका दाखिला करवाते, पढ़ाई में मदद करते और यह सुनिश्चित करते कि बच्चियां स्कूल छोड़ने की गलती न करें। यह समुदाय-आधारित मॉडल शिक्षा को आंदोलन बना देता है।
एनजीओ बना दुनिया का पहला इम्पेक्ट बाॅन्ड
सफीना हुसैन ने 24 लाख बच्चों तक अपनी एनजाओ की पहुंच बनाई और 90% से ज्यादा टिके रहने की दर साबित की। 2015 में इसने दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ट बाॅन्ड लॉन्च किया। यह एक ऐसा मॉडल है, जिसमें फंडिंग सीधे बच्चों की शिक्षा और सीखने के नतीजों से जुड़ी थी। इस प्रयोग ने शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की नई मिसाल पेश की।
किशोरियों को फिर से पढ़ने का मौका
जो लड़कियां शिक्षा से कट चुकी थीं, उनके लिए इस एनजीओ ने प्रगति कार्यक्रम शुरू किया। इसके तहत हजारों किशोरियों को मुफ्त शिक्षा केंद्रों में दोबारा पढ़ाई का अवसर मिला। नतीजा यह हुआ कि 31,500 से अधिक लड़कियां अब कक्षा 10 और 12 की डिग्री हासिल कर रही हैं। यह कदम सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा बदलाव है।
रेमन मैग्सेस अवार्ड और भविष्य का सपना
2025 में Educate Girls ने इतिहास रचते हुए रेमन मैग्सेस पुरस्कार हासिल किया। भारत के 50 से ज्यादा विजेताओं में यह पहला NGO है। अब इसका लक्ष्य 2035 तक पूर्वोत्तर भारत से लेकर वैश्विक स्तर तक 1 करोड़ जिंदगियों को बदलना है।