राम मंदिर की पैरवी करने वाली कांग्रेस ने क्यों ठुकराया निमंत्रण?

राम मंदिर की पैरवी करने वाली कांग्रेस ने क्यों ठुकराया निमंत्रण? जनता भी पूछ रही सवाल
जिस इंतजार में समस्त भारत पलकें बिछाए बैठा है, वह पल अब दूर नहीं है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं। समस्त भारत के संतों, प्रतिष्ठित लोगों, राजनीतिक दलों के दिग्गजों को प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्योता दिया जा रहा है और सभी बेसब्री से 22 जनवरी का इंतजार कर रहे हैं। इसी बीच कांग्रेस ने न्योते को अस्वीकार कर नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। कांग्रेस का कहना है कि यह एक राजनीतिक कार्यक्रम है, जिसमें वे नहीं जा सकते। जनता का कहना है कि प्रभु श्रीराम तो समस्त भारत के हैं। श्री राम हमारे आराध्य हैं, प्राण हैं, भगवान हैं और भगवान श्री राम ही भारत की पहचान हैं।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को अस्वीकार करना भारत की पहचान को अस्वीकार करना है, भारतीय संस्कृति को अस्वीकार करना है और इसलिए तो कांग्रेस कहीं की नहीं रही। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ये भारतीय संस्कृति को अस्वीकार करने के समान है और इसीलिए कांग्रेस कहीं की नहीं रही। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी को अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला था, लेकिन तीनों की ओर से इसे अस्वीकार कर दिया गया है।
क्या कहती है कांग्रेस पार्टी
कांग्रेस का कहना है कि धर्म एक निजी मामला होता है। अयोध्या में राम मंदिर आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक योजना है। इसलिए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के न्योते का अस्वीकार किया है। साथ ही कांग्रेस यह भी अंदाजा लगा रही है कि प्राण प्रतिष्ठा में न जाने से उसे राजनीतिक फायदा हो सकता है।
राजीव गांधी ने खुलवाया था ताला
कांग्रेस कई मंचों पर श्रीराम मंदिर की पैरवी करती आई है। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने 1986 में पहली बार राम मंदिर का ताला खुलवाया था। साथ ही विश्व हिंदू परिषद को शिलान्यास की भी परमिशन दी थी। इसके अलावा उन्होंने राम राज्य लाने का भी वादा किया था।