हिमाचल: बेटे के इलाज पर खर्च वसूली का आदेश हाईकोर्ट ने खारिज किया

Himachal: बेटे के इलाज पर खर्च राशि की रिकवरी वाला आदेश हाईकोर्ट ने किया खारिज, जानिए पूरा मामला
हिंदी टीवी न्यूज़, शिमला Published by: Megha Jain Fri, 06 Jun 2025
प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि कर्मचारी की ओर से बेटे के इलाज के लिए खर्च किया गया पैसा वापस दिया जाए।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि कर्मचारी की ओर से बेटे के इलाज के लिए खर्च किया गया पैसा वापस दिया जाए। अदालत ने कहा कि यह राशि पीजीआई बोर्ड की ओर से सक्षम अधिकारी की ओर से पास की गई थी। उसके बाद ही याचिकाकर्ता को राशि अनुमोदित की गई थी। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने साथ ही कर्मचारी से रिकवरी वाले आदेश को भी खारिज कर दिया है। सरकार की ओर से तर्क दिया गया था कि कर्मचारी एक वरिष्ठ सहायक होने के नाते अत्यधिक कठिनाई की श्रेणी में नहीं आता है। इसलिए किस्तों में उसके वेतन से राशि की वसूली से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता को नियमों की पूरी जानकारी थी, लेकिन वह इस बात से अनभिज्ञ था कि स्वीकृत राशि निर्धारित सीमा से अधिक थी। यदि उसे पहले ही सूचित कर दिया जाता कि केवल 5,35,000 रुपये ही स्वीकृत किए जा सकते थे। तो वह शायद कॉक्लियर इम्प्लांट का विकल्प नहीं चुनता या किसी अन्य उपचार के लिए जाता। अदालत ने पहले ही क्लास-तीन और क्लास-चार कर्मचारियों से की जाने वाली रिकवरी पर रोक लगा दी है। खासकर उन मामलों में जहां अधिक राशि कर्मचारी को धोखाधड़ी या गलत बयानी से नहीं मिली हो। बल्कि सेवा नियमों की गलत व्याख्या के कारण जारी की गई है।
बता दें कि याचिकाकर्ता एक सीनियर असिस्टेंट पद पर हैं। उन्होंने अपने बेटे के इलाज के लिए चंडीगढ़ स्थित पीजीआई से कॉक्लियर इम्प्लांट के लिए अनुमानित खर्च प्रस्तुत किया था। मुख्य चिकित्सा अधिकारी नाहन और हिमाचल प्रदेश के निदेशक स्वास्थ्य सेवा ने नियमों की गलत व्याख्या और अधिसूचना की अनुपलब्धता के कारण निर्धारित सीमा से अधिक राशि स्वीकृत कर दी।इसके अलावा स्वीकृत राशि सीधे पीजीआई, चंडीगढ़ में ई-वितरण के माध्यम से जमा की गई थी और याचिकाकर्ता ने अपनी जेब से 4,06,875 का अतिरिक्त भुगतान भी किया था।
अदालत ने यह फैसला एक क्लास-तीन कर्मचारी की याचिका पर पारित किया है। याचिकाकर्ता के बेटे के कॉक्लियर इम्प्लांट के लिए स्वीकृत राशि निर्धारित सीमा से अधिक थी। राज्य सरकार ने यह राशि वसूलने के लिए 4 जुलाई, 2023 को एक नोटिस जारी किया था, जिसे कर्मचारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। अदालत ने 4 जुलाई, 2023 के रिकवरी नोटिस को रद्द कर दिया। इस फैसले से क्लास-तीन और क्लास-चार कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है, जो ऐसे मामलों में बिना किसी गलती के वसूली के बोझ तले दब जाते थे।