Punjab: बीजेपी में शामिल होने से पहले नब्ज टटोलने अमृतसर पहुंचे तरनजीत सिंह संधू, श्री हरमंदिर साहिब में टेका माथा

2014 में भाजपा के शीर्ष नेता रहे अरुण जेटली को कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने हराया था। इसके बाद 2019 में पार्टी ने आइएफएस अधिकारी रहे हरदीप पुरी को चुनाव दंगल में भेजा। उन्हें कांग्रेस के गुरजीत औजला से हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में एक बार फिर से बाहरी प्रत्याशी को टिकट देने को लेकर पार्टी में मंथन चल रहा है।अमृतसर। अमेरिका में भारतीय राजदूत रहे तरनजीत सिंह संधू बुधवार को अमृतसर पहुंचे और श्री हरिमंदिर साहिब, श्री दुग्र्याणा तीर्थ व श्रीराम तीर्थ में नतमस्तक हुए। सेवानिवृत्ति के बाद से ही उनके भाजपा में शामिल होने और अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है। इन अटकलों के बीच वह नब्ज टटोलने गुरुनगरी पहुंचे थे। खास बात यह रही कि स्थानीय भाजपा नेताओं को भी उनके आने की खबर नहीं थी।
यहां पहुंचने पर उन्होंने टकसाली अकाली व शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) नेताओं से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की। वह अपने ग्रीन एवेन्यू स्थित पैतृक घर पर भी गए। तरनजीत सिंह एसजीपीसी के संस्थापक सदस्य तेजा सिंह समुंदरी के पोते हैं। अमृतसर से उनकी जड़ें जुड़ी हुई हैं। 2014 और 2019 में बाहरी प्रत्याशियों को हार मिली थी।
2014 में भाजपा के शीर्ष नेता रहे अरुण जेटली को कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने हराया था। इसके बाद 2019 में पार्टी ने आइएफएस अधिकारी रहे हरदीप पुरी को चुनाव दंगल में भेजा। उन्हें कांग्रेस के गुरजीत औजला से हार का सामना करना पड़ा।
ऐसे में एक बार फिर से बाहरी प्रत्याशी को टिकट देने को लेकर पार्टी में मंथन चल रहा है। स्थानीय लीडरशिप इसके पक्ष में नहीं है। वैसे 1988 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आइएफएस) के अधिकारी रहे तरनजीत का व्यक्तित्व साफ-सुथरा रहा है। राजदूत रहे चुके तरनजीत सिंह के एनआरआइ के अलावा टकसाली अकालियों व एसजीपीसी सदस्यों से अच्छे संबंध हैं।