Shimla News: ड्रग इंस्पेक्टर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने से HC ने किया इनकार
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोपी ड्रग इंस्पेक्टर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने प्रार्थी कपिल धीमान की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए आरोपों के अनुसार याचिकाकर्ता ने अपनी आय से अधिक संपत्ति अर्जित की और याचिका में दिए तथ्यों से यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि प्रार्थी के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता।
ग फार्मा कंपनियों को लाइसेंस जारी करने का है आरोप
मामले के अनुसार प्रार्थी के खिलाफ 14 दिसंबर 2012 को भ्रष्टाचार निरोधक कानून और भारतीय दंड संहिता के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्रार्थी के अनुसार वह 1 नवंबर 1991 को ड्रग इंस्पेक्टर नियुक्त हुआ था। प्राथमिकी के अनुसार प्रार्थी पर रिश्वत लेकर बिना औपचारिकताएं पूरी कर कुछ ड्रग फार्मा कंपनियों को लाइसेंस जारी करने का आरोप है।
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने प्रार्थी का आवासीय भवन और अन्य रिश्तेदारों के परिसरों की तलाशी ली। इस तलाशी के दौरान प्रार्थी की चल अचल संपत्ति के कागजात कब्जे में लिए गए। प्रार्थी पर जांच अवधी 2001 से 2012 के बीच प्रदेश के अंदर और बाहर अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया गया। पुलिस के अनुसार प्रार्थी के पास आय के स्रोत से कहीं अधिक संपत्ति पाई गई।
आय से अधिक संपत्ति पाई गई
आरोप है कि प्रार्थी कि वर्ष 1991 से 2012 तक के दौरान की कुल आय लगभग 70 लाख हुई जबकि उसने करोड़ों की मूल्यवान संपत्ति अर्जित की, जिसमें सुगंधा अपार्टमेंट सोलन में 30 लाख का फ्लैट, बेर खास ब्रूवरी में एक प्लॉट, एक फ्लैट देव भूमि अपार्टमेंट, कुल्लू में जमीन, मनसा देव कॉम्प्लेक्स पंचकूला में एक अपार्टमेंट, रामघर के नजदीक कोट गांव में 25 करोड़ का एक 5 एकड़ का फार्म हाउस, अमरावती एंक्लेव सूरजपुर हरियाणा में एक करोड़ रुपए का एक प्लॉट, मर्मिलापुर बलटाना जीरकपुर में 50 लाख का एक घर, विक्टोरिया हाइट्स जीरकपुर में 50 लाख का एक फ्लैट, भुरावाला में लायरा लैब नाम से एक फैक्ट्री और नगवाई कुल्लू में एक फार्म हाउस शामिल है।
आरोपों के अनुसार प्रार्थी ने आय के ज्ञात स्रोत से 188 फीसदी से ज्यादा संपतिया बनाई। प्रार्थी ने पुलिस द्वारा लगाए सभी आरोपों को निराधार बताया। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में चल रहे इस मामले में अब तक 89 गवाहों के बयान दर्ज होने का संज्ञान लेते हुए प्रार्थी द्वारा प्राथमिकी और इससे उपजे ट्रायल को खारिज करने से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया।