इस्तीफा देने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा अगर…’ CAA लागू होने पर असम के सीएम सरमा ने दिया बड़ा बयान
चार साल बाद केंद्र सरकार ने सोमवार शाम को विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम के लिए एक अधिसूचना जारी की। इसको लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करने वाले किसी व्यक्ति को नागरिकता मिल जाती है तो मैं इस्तीफा देने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा। CAA को लोकसभा चुनाव के कुछ हफ्ते पहले ही लागू किया गया।असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने CAA को लेकर मंगलवार को बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि अगर एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करने वाले किसी व्यक्ति को नागरिकता मिल गई तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, असम के सीएम ने कहा कि ‘अगर एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करने वाले किसी व्यक्ति को नागरिकता मिल जाती है तो मैं इस्तीफा देने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा।’
सोमवार को लागू हुआ CAA
दरअसल, चार साल बाद केंद्र सरकार ने सोमवार शाम को विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के लिए एक अधिसूचना जारी की। यह 2024 के लोकसभा चुनाव के कुछ हफ्ते पहले ही लागू की गई है। विपक्षी राजनेताओं के विरोध के बीच दिसंबर 2019 में संसद द्वारा सीएए को पहले ही मंजूरी दे दी गई थी।
सरमा की टिप्पणी सोमवार को सीएए को लागू करने के लिए केंद्र में भाजपा सरकार की आलोचना करने वाले विपक्षी दलों के साथ पूरे असम में विरोध प्रदर्शन के बाद आई है। मुख्यमंत्री ने शिवसागर में एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘मैं असम का बेटा हूं और अगर एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करने वाले एक भी व्यक्ति को नागरिकता मिलती है, तो मैं इस्तीफा देने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा।’
सीएए लागू होने के बाद लाखों लोग करेंगे राज्य में प्रवेश
प्रदर्शनकारियों का दावा है कि सीएए लागू होने के बाद लाखों लोग राज्य में प्रवेश करेंगे। सरमा ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो मैं विरोध करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएए के बारे में कुछ भी नया नहीं है क्योंकि यह पहले लागू किया गया था, ‘अब पोर्टल पर आवेदन करने का समय आ गया है।’
सरमा ने कहा, ‘पोर्टल पर डेटा अब बोलेगा और यह स्पष्ट हो जाएगा कि अधिनियम का विरोध करने वालों के दावे तथ्यात्मक रूप से सही हैं या नहीं।’ सीएए नियम जारी होने के साथ, केंद्र सरकार अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करना शुरू कर देगी। इनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं।