पार्सले बूटी की फसल से किसानों को मिलेगा लाभ, विदेश में भी मांग

Himachal News: पार्सले बूटी की फसल किसानों को करेगी मालामाल, विदेश में भी है मांग
हिंदी टीवी न्यूज़, धौलाकुआं (सिरमौर) Published by: Megha Jain Updated Fri, 07 Mar 2025
प्रदेश के किसानों को अब पार्सले बूटी मालामाल करेगी। पारंपरिक खेती से हटकर किसान इससे लाभ कमा सकेंगे। इसका सफल परीक्षण सिरमौर में हुआ है।
हिमाचल प्रदेश के किसानों को अब पार्सले बूटी मालामाल करेगी। पारंपरिक खेती से हटकर किसान इससे लाभ कमा सकेंगे। इसका सफल परीक्षण सिरमौर में हुआ है। इसकी खेती कर यहां के किसान अच्छी आय कमा रहे हैं। विदेश में भी इसकी सप्लाई की जा रही है। पांवटा क्षेत्र में इन दिनों पार्सले बूटी की खेती की जा रही है। गिरिपार क्षेत्रों में आजकल किसान पार्सले बूटी की फसल की कटाई में लगे हैं। पार्सले बूटी को देहरादून के डोईवाला में भेजा जा रहा है। यहां की एक निजी कंपनी पांवटा में पार्सले बूटी की फसल तैयार करने में अहम भूमिका निभा रही है।
कंपनी ही किसानों को बीज व दवाई आदि उपलब्ध करवा रही है। किसानों को इसके उत्पादन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। यहां के 300 किसानों को जोड़कर 100 बीघा उपजाऊ भूमि पर पार्सले बूटी तैयार करने में सफलता प्राप्त की गई है। महिला मंडल अध्यक्ष सीरिता चौधरी, पवन कुमार, नरेश कुमार आदि ने बताया कि पार्सले बूटी की फसल तैयार करने से अच्छी आमदनी मिल रही है। कंपनी द्वारा बीज और दवाई का खर्च काट कर किसानों को भुगतान किया जाता है। बताया जा रहा है कि यहां से पार्सले बूटी को खरीद कर उत्तराखंड में एक कम्पनी देहरादून लाल तप्पड़ में बेच रही है। इयहां से इस फसल को प्रोसेस करने के बाद फाइव स्टार होटलों आदि में सप्लाई किया जाता है। कई देशों में इसकी अच्छी मांग है। कंपनी के एरिया मैनेजर अशोक बडोला ने बताया कि पांवटा में 300 किसान पार्सले बूटी उगा रहे हैं। प्रोसेस करके कंपनी इसे यूएसए और अन्य देशों में भेजती है।
30 से 40 हजार प्रतिबीघा तक कमाई
क्षेत्र के भगाणी, मेहरू वाला, सिंघपुरा क्षेत्रों में पार्सले बूटी उत्पादन तैयार करने में यहां पर गठित महिला मंडल व महिला समूह भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। खास बात है कि जहां पर पार्सले बूटी खेती को तैयार किया जा रहा है, इसमें लहसुन और प्याज की फसल की भी अच्छी पैदावार हो रही है। पार्सले को किसान अक्तूबर महीने में लगाते हैं और जून महीने तक इसकी बार-बार कटाई होती है। फसल 1200 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रही है, जिससे किसानों को 30 से 40 हजार प्रतिबीघा तक कमाई हो रही है।