हिमाचल फर्जी शिक्षक मामला: हरियाणा के 3 दोषी, 1 साल की सजा

Himachal News: फर्जी शिक्षक मामले में हरियाणा के तीन व्यक्ति दोषी, एक साल की सजा; जानें पूरा मामला विस्तार से
हिंदी टीवी न्यूज़, शिमला Published by: Megha Jain Updated Thu, 29 May 2025
सत्र न्यायालय ने शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षक मामले में हरियाणा के तीन लोगों को एक वर्ष की जेल और 1 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षक मामले में सत्र न्यायालय ने हरियाणा के तीन लोगों को एक वर्ष की जेल और 1 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। आरोपियों, अपीलकर्ताओं ने 25 नवंबर 2023 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सजा आदेश को चुनौती दी थी। सत्र न्यायाधीश (वन) अजय मेहता की अदालत ने अब ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए यह फैसला सुनाया है। अदालत ने निर्णय में राजेश कुमार उर्फ कंवर सिंह शर्मा, थाना खोहाल, जिला रेवाड़ी, जय प्रकाश उर्फ जसवंत सिंह, थाना बराड़ा, जिला अंबाला और अनुज शर्मा उर्फ देव कांत, थाना कोटली, जिला रेवाडी निवासी को तत्काल ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण करने के भी आदेश दिए हैं।
2012 में उच्च शिक्षा निदेशक ने एक पत्र के माध्यम से प्रधान सचिव (शिक्षा) को रिपोर्ट दी कि शिक्षा विभाग में राजेश कुमार, जय प्रकाश और अनुज शर्मा की संलिप्तता में धोखाधड़ी हुई हैं। जिन्होंने खुद को विभिन्न विषयों में व्याख्याता (स्कूल कैडर) के रूप में प्रस्तुत कर सरकारी खजाने को 8,57,493 रुपये का नुकसान पहुंचाया है। जांच में सामने आया कि फर्जी स्थानांतरण आदेशों के आधार पर आरोपी शिक्षक बनकर वेतन और अन्य भत्तों के रूप में सरकार को चूना लगाते रहे। इस दौरान आरोपी राजेश कुमार 25 अक्तूबर 2005 से सितंबर 2008 की अवधि के दौरान जिला कांगड़ा के हारचकियां और मणई स्कूल, सिरमौर के भनोग स्कूल में बतौर राजनीति विज्ञान लेक्चरर के पद पर तैनात रहा। इसी प्रकार, आरोपी जय प्रकाश अगस्त 2007 से जुलाई 2008 तक और अनुज शर्मा सितंबर से दिसंबर 2007 तक मणई कांगड़ा में तैनात रहा। हैरानी की बात है कि आरोपियों ने जीपीएफ खाता संख्या भी प्राप्त किया। साथ ही झूठे नाम और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ग्रामीण और एसबीआई बैंक से 5.85 लाख रूपये का ऋण लिया।
ऐसे हुआ मामले का भंडाफोड़
सिरमौर के भनोग स्कूल के प्रिंसिपल ने आरोपी राजेश से उसकी सेवा पुस्तिका के बारे में पूछा, तो वह संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। फिर आरोपी के पिछली नियुक्ति स्थान में सेवा पुस्तिका के बारे कांगड़ा के मणई स्कूल प्रबंधन से पूछताछ की गई। पता चला कि उन्हें भी राजेश की सेवा पुस्तिका उसके पिछले संस्थान से प्राप्त नहीं हुई है। इस बीच राजेश ने एक माह के अवकाश के लिए आवेदन किया था। जिसे भनोग प्रधानाचार्य ने उसकी सेवा पुस्तिका उपलब्ध न होने के कारण अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद आरोपी ने भनोग से त्रिलोकपुर के लिए स्थानांतरण आदेश प्रस्तुत किया। संदेह होने पर प्रधानाचार्य भनोग ने मामले के विस्तृत तथ्यों के साथ उक्त स्थानांतरण आदेश को उच्च शिक्षा निदेशक को भेज दिया, जोकि जांच में फर्जी पाए गए।