टीचर्स डे पर खास आपके लिए, ऐसे शिक्षकों की जिन्होंने मनवाया अपनी प्रतिभा का लोहा

नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मारक राजकीय उत्कृष्ट महाविद्यालय
वह कांगड़ा जिले के जसवां प्रागपुर के गांव गढ़ के रहने वाले हैं। उनके नेतृत्व में सरकारी महाविद्यालय पांवटा ने एनएएसी में ए ग्रेड प्राप्त किया। हमीरपुर को राज्य स्तरीय एसआईआरएफ रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल हुआ। महाविद्यालय का पुस्तकालय पूरे प्रदेश में नंबर वन चुना गया। प्रमोद पटियाल ने वर्ष 1992 में रॉ, बीएसएफ में सेवांए दी, लेकिन पारिवारिक कारणों से उन्होंने घर वापसी करते हुए वर्ष 1993 में राजकीय महाविद्यालय सीमा में भूगोल के प्राध्यापक के तौर पर अपना शिक्षक का सफर शुरू किया। लगभग 25 वर्ष तक अध्यापन करने के बाद वह बीते सात वर्ष बतौर प्राचार्य सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने न केवल विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी, बल्कि अनेक महाविद्यालयों को नई पहचान दिलाई।
लेक्चर में न एक मिनट लेट, न ही कभी बीच में छोड़ी कक्षा
35 साल की नौकरी में सिर्फ 25 आकस्मिक अवकाश लिए और कभी भी एक भी अर्जित अवकाश नहीं लिया हैं। डाॅ. नरेश शर्मा वर्तमान में धर्मशाला कॉलेज में अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर है। 35 साल में कम छुट्टियां करने और लेक्चर मिस न करने के लिए उनका नाम गिनीज और लिम्का बुक में दर्ज करवाने के लिए भी गया हुआ था। नरेश शर्मा कभी अपने लेक्चर के लिए एक भी मिनट लेट नहीं पहुंचे हैं। वहीं लेक्चर के बीच अगर कभी प्रिंसिपल ने भी उन्हें बुलाया है, तो भी वे लेक्चर बीच में छोड़ कर उनसे मिलने नहीं गए हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें 11 संस्थानों ने बेस्ट टीचर अवाॅर्ड से भी नवाजा है। वे पढ़ाने के लिए इतने खुश रहते हैं कि उन्होंने पिछले 33 साल में एक भी प्रमोशन नहीं ली। प्रमोशन लेकर उनका तो भला हो जाएगा, लेकिन वे बच्चों को पढ़ाने से वंचित हो जाएंगे।स्मार्ट यूनिफॉर्म से बढ़ाया बच्चों का उत्साह
भटेड़ स्कूल में कार्यरत शिक्षक परमजीत सिंह ने अपने स्कूल में स्मार्ट यूनिफॉर्म शुरू कर बच्चों में आत्मविश्वास और स्वच्छता बढ़ाई। छोटे बच्चों के लिए प्री-प्राइमरी कक्षाएं संचालित करवाई। कोरोना में उन्होंने डोर-टू-डोर और ऑनलाइन शिक्षण के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित की। हिंदी साहित्य में सात व्यक्तिगत और 15 सामूहिक पुस्तकें प्रकाशित की। उनके प्रयासों को राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें नवोदय क्रांति राष्ट्र रत्न अवार्ड, भारती एअरटेल फाउंडेशन रॉकस्टार अवार्ड, आपदा प्रबंधन पुरस्कार और बेस्ट एसएमसी अवार्ड शामिल हैं। परमजीत सिंह ने कहा कि शिक्षक का केवल बुद्धिमान होना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे कर्मशील और नवाचारी भी होना चाहिए।डॉ. कीर्ति सिंघा का विज्ञान क्षेत्र में योगदान
संजौली कॉलेज की डॉ. कीर्ति सिंघा मूलत: गांव शरमाली तहसील रोहड़ू शिमला की रहने वाली हैं और 16 वर्षों से शिक्षण कार्य कर रही हैं। उनका विज्ञान के क्षेत्र में अहम योगदान रहा है, उनके चार पेंटेंट दर्ज हैं। डीबीटी स्टार कॉलेज की कोऑर्डिनेटर रहते हुए संजौली कॉलेज को एक करोड़ का बजट दिलवाया। विश्वविद्यालय के नैनाे साइंटिस्ट और एचपीयू के कुलपति प्रो. महावीर सिंह के मार्गदर्शन में नैनो मेटिरियल पर रिसर्च कर रही हैं। डा. कीर्ति ने अपने विद्यार्थियों को फिजिक्स पढ़ाने के अलावा उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने, उन्हें अपनी प्रतिभा को दर्शाने के लिए मंच प्रदान करने के साथ उनके व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास के लिए कॉलेज में निरंतर प्रयास किए हैं।सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए कर रहे प्रेरित
सात वर्षों तक शिक्षा खंड सुजानपुर में विभिन्न उत्कृष्ट कार्यों की मेहनत की बदौलत जेबीटी विजय कुमार को राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार मिलेगा। एजुकेशन हब हमीरपुर के अंतर्गत पीएमश्री राजकीय प्राथमिक केंद्र पाठशाला बीड़ बगेहडा में कार्यरत शिक्षक ने मई 2011 में अपने दोनों बेटों का दाखिला अपनी पाठशाला में करवाया और अभिभावकों सहित अन्य शिक्षकों को भी प्रेरित किया। शिक्षक के प्रयासों से स्कूल में कम हो रही विद्यार्थियों की संख्या में एकाएक बढ़ोतरी हुई और स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 100 के पार हो गई। नामांकन की दृष्टि से पिछले सात वर्षों से स्कूल खंड स्तर पर प्रथम स्थान पर है। उनके पढ़ाए गए विद्यार्थियों में 10 से अधिक नवोदय विद्यालय, एक बेटी ने सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा और एक छात्र ने स्वर्ण जयंती मिडिल मेरिट छात्रवृत्ति परीक्षा पास की है।पाठ्यक्रम तैयार करने, प्रशिक्षण में योगदान
विशेष श्रेणी में चुनी गई डॉ. मंजुला शर्मा समग्र शिक्षा में राज्य निपुण नोडल अधिकारी और महिला विकास गुणवत्ता शिक्षा प्रभारी के पद पर कार्यरत हैं। पूर्व प्राथमिक शिक्षा, बालिका शिक्षा, दिव्यांग बच्चों, समुदाय सहभागिता, शिक्षक-प्रशिक्षण और वैकल्पिक शिक्षा कार्यक्रम के तहत इन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया है। प्राथमिक कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम लेखन ,पाठ्यपुस्तक लेखन, प्रारंभिक एवं माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के लिए शिक्षण-सामग्री निर्माण, लैंगिक संवेदनशीलता कार्यकर्मों तथा सामुदायिक जागरूकता जैसे क्षेत्रों में लगभग 28 वर्षों का इन्हें अनुभव है। पंजाब में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से चलाए जा रहे पढ़ो पंजाब, पढ़ाओ पंजाब परियोजना से भी यह जुड़ी हुई हैं। पंजाब एवं हिमाचल के लिए राज्य शिक्षक पुरस्कार समिति के सदस्य के रूप में भी नामित रह चुकी हैं।
खेलकूद को बढ़ावा दे रहे राजकुमार
खेल जगत के क्षेत्र में विदेशों में अपना डंका बजवाने वाले राजकुमार पाल ने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही उनके खेलों में बहुत रुचि थी। कई बार स्टेट के लिए भी बास्केटबाल खेला और संकल्प लिया कि वह भी शारीरिक शिक्षा के तौर पर अपना कॅरिअर बनाएंगे। उन्होंने कारगिल में भी अपनी सेवा दी। कारगिल जाने से पहले उन्हें कई लोगों ने उन्हें जाने के लिए मना भी कि वह नहीं माने। डीसी ने उन्हें बेहतरीन सेवाओं के लिए सम्मानित किया। राज कुमार स्पेशल ओलंपिक विश्व खेलें 2019 जो कि अबू धाबी (दुबई) में हुई। उसमें भी भारतीय लड़कों की बॉस्केटबाल टीम के साथ प्रशिक्षक के रूप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस टीम ने भी रजत पदक जीत कर देश को गौरवान्वित किया था। कई खिलाड़ी स्पोर्ट्स कोटे से नियुक्त होकर भारत व हिमाचल सरकार के विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
मेडिकल की पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को किया प्रेरित
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सेराथाना में कार्यरत जीव विज्ञान की प्रवक्ता अनीता चौधरी के अब तक कार्यकाल से हर स्कूल से विद्यार्थियों को नीट पास करवाया। चौधरी ने बच्चाें को मेडिकल की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट के लिए भी मार्गदर्शन किया। इसी का नतीजा है कि आज अनीता के पढ़ाए कई छात्र जहां चिकित्सक हैं, तो कई विदेशों में ऊंचे पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से ग्रामीण पृष्ठ भूमि और सरकारी स्कूल से आए हुए विद्यार्थियों को चिकित्सा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए तैयार किया है। कई मौकों पर आर्थिक तंगी से जूझ रहे विद्यार्थियों की मदद भी की। इसके अलावा उनके विद्यार्थियों के चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस में भी राज्य स्तर तक अपनी प्रतिभा दिखा कर आए हैं।