26 नवंबर से शुरू होगा हिमाचल विधानसभा का शीतकालीन सत्र: कुलदीप पठानिया

HP Assembly Session: कुलदीप पठानिया बोले-26 नवंबर से शुरू होगा हिमाचल विधानसभा का शीतकालीन सत्र
हिंदी टीवी न्यूज़, शिमला। Published by: Megha Jain Updated Tue, 04 Nov 2025
प्रदेश विधानसभा का दसवां एवं शीतकालीन सत्र 26 नवंबर से 5 दिसंबर तक धर्मशाला तपोवन विधानसभा में आयोजित किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का दसवां एवं शीतकालीन सत्र 26 नवंबर से 5 दिसंबर तक धर्मशाला तपोवन विधानसभा में आयोजित किया जाएगा। यह जानकारी मंगलवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने दी। उन्होंने कहा कि इस सत्र में कुल आठ बैठकें आयोजित की जाएंगी। पठानिया ने कहा कि राज्यपाल की संस्तुति के बाद विधानसभा सचिवालय की ओर से मंगलवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अधिसूचना जारी होने के साथ ही सदस्य अब अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों से संबंधित सूचनाएं ऑनलाइन तथा ऑफलाइन विधानसभा सचिवालय को भेज सकते हैं।
पठानिया ने कहा कि 26 नवंबर को सत्र का शुभारंभ सुबह 11:00 बजे होगा तथा प्रथम दिन शोकोद्गार होंगे। इस शीतकालीन सत्र में कुल आठ बैठकें होंगी, जिसमें 4 दिसंबर का एक दिन गैर सरकारी सदस्य कार्य दिवस के लिए निर्धारित किया गया है। पठानिया ने कहा कि 29 व 30 नवंबर को बैठकें नहीं होंगी। पठानिया ने कहा कि धर्मशाला तपोवन में आयोजित किया जाने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा सत्र है, जिसमें आठ बैठकें आयोजित की जाएंगी।
कुलदीप पठानिया ने दी गुरु नानक देव जयंती की बधाई
प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जयंती की प्रदेश तथा देशवासियों को हार्दिक बधाई दी है। अपने बधाई संदेश में पठानिया ने कहा कि गुरु नानक देव ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई तथा जातिवाद, धर्म आधारित भेदभाव, मूर्ति पूजा और अंधविश्वास के खिलाफ संघर्ष किया। उनका मानना था कि भगवान एक है और सभी लोग समान हैं। उनका प्रसिद्व मंत्र एक औंकारा ( ईश्वर एक है)ने ही इस सिंख धर्म की नींव रखी थी। पठानिया ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 को तलवंडी नामक स्थान जो अब पाकिस्तान के ननकाना साहिब में स्थित है में जन्में गुरु नानक देव जी के विचार और उपदेश आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। हर साल उनके जन्म दिवस को गुरू नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है जो विशेष रूप से सिख धर्मावलम्बियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन होता है।














