Ayushman Bharat Yojana: आयुष्मान कार्ड की वजह से ही चल रही इस डेढ़ वर्षीय बच्चे की सांसें
बिलासपुर के रहने वाले विपिन घुमारवीं बाजार में एक दुकान में काम करते हैं। उनके बेटे को दिल में छेद है। जिस कारण से उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा उसके इलाज में चला जाता है। पिता बताते हैं पहले उन्होंने आयुष्मान कार्ड नहीं बनवाया था लेकिन बनवाने के बाद से वो इसका उचित इस्तेमाल कर पा रहे हैं। पहले दवाई खरीदने में ज्यादा पैसे खर्च होते थे।
HIGHLIGHTS
- आयुष्मान कार्ड से चल रही डेढ़ वर्षीय बच्चे की सांसें।
- उपमंडल घुमारवीं के रियांश के दिल में थे दो छेद।
- दवा से भरा एक छेद, दूसरे के लिए होगा ऑपरेशन। बिलासपुर। स्वजन आर्थिक रूप से इतने साधन संपन्न नहीं हैं कि निजी अस्पताल में बेटे का इलाज अपनी जेब से पैसे खर्च करके कर सकें। पूरी जमा पूंजी प्रारंभिक इलाज में लगा दी। आयुष्मान कार्ड न होता तो डेढ़ साल के बच्चे की सांसें शायद ही आज तक चल पातीं।उपमंडल घुमारवीं के डेढ़ साल के रियांश के दिल में दो छेद थे। रियांश के पिता विपिन घुमारवीं बाजार में एक दुकान में काम करते हैं। बेटे के जन्म के समय ही डॉक्टरों ने बता दिया कि उसके दिल में छेद है। उस समय विपिन ने आयुष्मान कार्ड नहीं बनवाया थाशुरुआत में विपिन अपनी जेब से पैसे खर्च कर बेटे का इलाज करता रहा ताकि उसकी सांसें चल सकें। बाद में उन्होंने आयुष्मान कार्ड बनवाया। रियांश के दिल का एक छेद तो भर गया है, लेकिन दूसरे के लिए ऑपरेशन करवाना पड़ेगा। आयुष्मान कार्ड का लाभ लेकर अब रियांश पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती है।विपिन ने बताया कि पहले हर माह दवाएं लानी पड़ती थीं। एक बार दवा का खर्च 15 से 20 हजार रुपये आता था। दूसरों की दुकान में काम करके जितना कमाया था, बेटे की इलाज पर खर्च कर दिया। एक समय चिंता इतनी बढ़ गई कि बेटे को कैसे बचाएं।आयुष्मान कार्ड ( Ayushman card) होने के कारण बेटे को ऑपरेशन के लिए पीजीआई में भर्ती करवाया है। विपिन ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojana) वरदान से कम नहीं है। आयुष्मान कार्ड से ही उनके बेटे की सांसें चल रही हैं।