Forest Fire : हिमाचल में बन रहे हैं उत्तराखंड जैसे हालात
Forest Fire : हिमाचल में बन रहे हैं उत्तराखंड जैसे हालात, ड्रोन-हेलिकाप्टर से आग बुझाने के दावे हवाओं में
अधिक गर्मी और ऊपर से जंगलों में आग से करोड़ों की वन संपदा राख हो रही है। आग के कारण वन्य जीवों की जान पर बन आई है। प्रदेश में उत्तराखंड जैसे हालात बन रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में इस साल जंगल अधिक धधक रहे हैं। अधिक गर्मी और ऊपर से जंगलों में आग से करोड़ों की वन संपदा राख हो रही है। आग के कारण वन्य जीवों की जान पर बन आई है। प्रदेश में उत्तराखंड जैसे हालात बन रहे हैं। लेकिन अभी तक आग बुझाने के बड़े स्तर पर प्रयास नहीं किए गए हैं। ड्रोन-हेलिकाप्टर से आग बुझाने के दावे हवा हो गए हैं। आज भी वन विभाग के कर्मचारी झाड़ियों का झाड़ू बनाकर ग्रामीणों के सहयोग से आग पर काबू पाने की मशक्कत में जुटे हैं।
प्रदेश में 1 अप्रैल के बाद से रविवार शाम तक 418 जंगलों में आग लगने की घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। कुल 3,290.31 हेक्टेयर क्षेत्र राख हो गया है। जंगलों में आग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन सरकार और वन विभाग की ओर किए गए दावे खोखले साबित हो रहे हैं। प्रदेश सरकार ने जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टर के इस्तेमाल करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक इसका प्रबंध नहीं हो पाया है। जबकि दमकल विभाग के फायर टेंडर जंगलों के बीच नहीं पहुंच पा रहे हैं। प्रदेश में शनिवार शाम से रविवार शाम तक 37 जगह जंगलों में आग लगने की घटनाएं वन विभाग ने दर्ज की हैं। इसमें 584.47 हेक्टेयर भूमि में वन संपदा को नुकसान पहुंचा है।
बिलासपुर में सबसे अधिक 14 जगह लगी आग
बिलासपुर में सबसे अधिक 14 घटनाएं शनिवार शाम से रविवार शाम के बीच दर्ज हुई हैं। धर्मशाला में चार, हमीरपुर में पांच, मंडी में तीन, नाहन में नौ और शिमला में दो घटनाएं दर्ज हुई हैं। बिलासपुर में 257 हेक्टेयर, धर्मशाला में 18.5 हेक्टेयर, हमीरपुर में 56 हेक्टेयर, मंडी में 19.5 हेक्टेयर, नाहन में 224.47 हेक्टेयर और शिमला में चार हेक्टेयर भूमि में वन संपदा में नुकसान पहुंचा है। वहीं, जंगलों की आग से हवा में भी धुआं फैला हुआ है। आग लगने के कई कारण हैं। तापमान में बढ़ोतरी, शरारती तत्व और कई भी आग की घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं।
आग बुझाने में लोग करें सहयोग : राजीव
पीसीसीएफ राजीव कुमार ने बताया कि एक डिविजन में 6-6 जगह आग लग रही है। वन विभाग मुस्तैदी से काम कर रहा है। सेटेलाइट और ड्रोन से भी जंगल में आग लगने पर नजर रखी जा रहा है। वन विभाग के कर्मचारी सुबह से शाम तक आग बुझाने में लगे हैं। उन्होंने गांव के लोगों से भी आग बुझाने में सहयोग की अपील की है। उन्होंने यह भी हैरानी जताई है कि बीच जंगल में आग कैसे लग सकती है। अग्निशमन विभाग की आग बुझाने में मदद ली जा रही है।
सिरमौर
शनिवार रात व रविवार दिन में जिला सिरमौर में करीब तीन मामले सामने आए हैं। रेणुका जी क्षेत्र में कोटला मोलर में निजी भूमि में आग लगने से काफी नुकसान हुआ है। पच्छाद क्षेत्र के नारग में जंगल में आग लगने का मामला सामने आया है। इसके अतिरिक्त जिला मुख्यालय नाहन के संस्कृत कॉलेज के समीप जंगल में आग लगने की जानकारी है। यहां अग्रिशमन विभाग ने आग पर काबू पाया है।
सोलन में 30 हेक्टयेर जंगल राख
सोलन। जिले के चायल, कंडाघाट, सोलन समेत धर्मपुर क्षेत्र के जंगलों में आग से लाखों का नुकसान हो गया है। रविवार देर शाम तक भी इन जंगलों में आग पर काबू नहीं पाया जा सका था। चायल क्षेत्र में किसानों के नए बगीचे समेत घासनियां जल गईं। डीएफओ सोलन एचके गुप्ता ने बताया कि अभी तक 20 जगह जंगलों में आग लगी है। 16 स्थानों पर काबू पा लिया है। 30 हेक्टयेर क्षेत्र जल गया है। करीब 3.30 लाख रुपये का नुकसान हो गया है।
शिमला
जुन्गा तहसील मुख्यालय से सटी भड़ेच पंचायत में भयंकर आग में पांच सौ के करबी सेब के पौधे झुलस गए। एक गोशाला, रिहायशी मकान और किसानों की घासनियों को भारी नुकसान पहुंचा है। सिरमौर के कोटला मोलर के जंगल में आग लगने से लाखों रुपये की वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। आग लगने के कारण कई ग्रामीणों की घासनियां भी जल गईं। ऐसा होने से अब मवेशियों के लिए पशुचारे का संकट पैदा हो गया है।
हमीरपुर में 722 हेक्टेयर क्षेत्र में जंगल राख
हमीरपुर जिले में 722 हेक्टेयर क्षेत्र में जंगल राख हो गए हैं। करोड़ों की वन संपदा के साथ वन्य प्राणी भी जल गए हैं। यहां पर 73 बार जंगलों में आग की घटनाएं दर्ज हुईं जबकि धर्मशाला मंडल में 107 आग की घटनाएं सामने आई हैं।