Haryana: हरियाणा में 35 साल बाद कांग्रेस का वोट शेयर सबसे उच्चतम स्तर पर, 1989 में मिला था 46 फीसदी
Haryana: हरियाणा में 35 साल बाद कांग्रेस का वोट शेयर सबसे उच्चतम स्तर पर, 1989 में मिला था 46 फीसदी
लोकसभा में मिले वोट बैंक को कांग्रेस विधानसभा चुनाव तक स्थिर रखना चाहेगी। हालांकि पार्टी के लिए यह कोई बड़ी चुनौती नहीं है। पार्टी को लोकसभा चुनाव में जो वोट शेयर मिलता है, वह अगले विधानसभा चुनाव तक काफी हद तक स्थिर रहता है।
लोकसभा चुनाव में हरियाणा की पांच सीटों पर जबरदस्त वापसी करने वाली कांग्रेस को 43.67 फीसदी वोट मिले हैं, जो 35 सालों में सबसे ज्यादा हैं। इससे पहले साल 1989 में कांग्रेस का वोट शेयर 46 फीसदी था।
हालांकि कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के तहत कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को मिले 3.94 वोट शेयर को जोड़ 47.6 फीसदी वोट शेयर मिलने का दावा किया है। इस हिसाब से गठबंधन का वोट शेयर भाजपा से ज्यादा है। भाजपा का वोट शेयर 46.11 फीसदी है। कांग्रेस ने यह भी दावा किया है कि पूरे देश में हरियाणा में ही कांग्रेस को सबसे ज्यादा वोट शेयर मिला है। बढ़े वोट शेयर से कांग्रेस काफी उत्साहित है। इससे पार्टी को विधानसभा की राह आसान होती दिख रही है। राज्य में चार महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं।
लोकसभा का वोट बैंक विस चुनाव तक रखना होगा स्थिर
लोकसभा में मिले वोट बैंक को कांग्रेस विधानसभा चुनाव तक स्थिर रखना चाहेगी। हालांकि पार्टी के लिए यह कोई बड़ी चुनौती नहीं है। पार्टी को लोकसभा चुनाव में जो वोट शेयर मिलता है, वह अगले विधानसभा चुनाव तक काफी हद तक स्थिर रहता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 28.5 फीसदी वोट मिले थे। वहीं, चार महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का वोट शेयर 28.5 फीसदी ही रहा। इसमें कोई गिरावट नहीं आई। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 23 फीसदी वोट शेयर मिला था। उसके बाद विधानसभा चुनाव में पार्टी के वोट शेयर में सिर्फ 2.3 फीसदी की कमी आई। वहीं, 2009 के लोकसभा के बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वोट शेयर में करीब 6.7 फीसदी की गिरावट आई। मगर 2004 के चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर स्थिर रहा।
हालांकि जिन चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर गिरा है, उसका औसत देखें तो सिर्फ चार से पांच फीसदी ही रहा है। पिछली बार कांग्रेस का वोट शेयर 28.5 फीसदी था, तो उस दौरान पार्टी को 30 सीटें मिली थीं और बहुमत के लिए 45 सीटें चाहिए होती हैं। इस लिहाज से लोकसभा के परिणाम कांग्रेस के लिए बूस्टर डोज का काम करेगा। कांग्रेस का अगला लक्ष्य राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। पार्टी पिछले दस साल से हरियाणा की सत्ता से दूर है। ऐसे में पार्टी हर हाल में इन चुनावों को जीतना चाहेगी। इसके लिए वह कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
साल लोकसभा चुनाव विधानसभा चुनाव
1991 37.2 33.7
1996 22.6 20.8
1999 34.9 31.2
2004 42.1 42.5
2009 41.8 35.1
2014 23 20.7
2019 28.5 28.5