Haryana Politics: जिस सीट से लड़ेंगे मनोहर लाल, जानें उसका क्या है इतिहास
Haryana Politics: जिस सीट से लड़ेंगे मनोहर लाल, जानें उसका क्या है इतिहास; कभी सुषमा स्वराज को भी मिल चुकी है पटखनी
Lok Sabha Election 2024 हरियाणा में लोकसभा चुनाव की तैयारी पूरी हो गई है। चुनावी इतिहास में करनाल जिला रोचक राजनीतिक समीकरणों का साक्षी रहा है। यहां से कई संसद निकले हैं। साथ ही उन्होंने राजनीति में अपनी अलग-अलग पहचान बनाई है। 1999 के चुनाव में भजन लाल की दोबारा जीत का सपना भाजपा के आइडी स्वामी ने तोड़ दिया था
HIGHLIGHTS
- करनाल में दिग्गज नेताओं ने भी खाई है मात
- भाजपा का गढ़ बना करनाल
करनाल। (Lok Sabha Election 2024): मैं करनाल लोकसभा क्षेत्र हूं। दानवीर कर्ण की नगरी हूं। प्रमुख औद्योगिक केंद्र का ख्याति प्राप्त जिला पानीपत मेरा ही अंग है। मैं अपने आंचल में पौराणिक एवं ऐतिहासिक गौरव के साथ सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी रोचक परिदृश्य समेटे हुए हूं।
चावल उत्पादन के साथ किसानों ने देश की कृषि अर्थव्यवस्था को नए आयाम देने में अहम भूमिका निभाई तो उद्यमियों ने चावल निर्यात से लेकर कृषि उपकरणों, टेक्सटाइल और जूता उद्योग के क्षेत्र मे उपलब्धियां अर्जित कीं।
डेरी एवं पशुपालन सहित गेहूं, गन्ना सहित विविध क्षेत्रों में सतत अनुसंधानरत राष्ट्रीय संस्थानों ने मेरे नाम को अलग पहचान दी है। संसद में मेरा राजनीतिक प्रतिनिधित्व करने वालों में प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा, भजनलाल से लेकर केंद्रीय मंत्री रहे स्वर्गीय ईश्वर दयाल स्वामी जैसे दिग्गजों के नाम शामिल हैं।
यहां दिग्गजों के भी टूटे सपने
भाजपा की दिग्गज नेत्री सुषमा स्वराज ने कांग्रेस के चिरंजी लाल शर्मा ने पटकनी दी थी। सुषमा करनाल से लोकसभा जाने का सपना पूरा नहीं कर पाई थीं। पिछले चुनाव में मोदी लहर पर सवार भाटिया ने एकतरफा जीत दर्ज की। 1999 के चुनाव में भजन लाल की दोबारा जीत का सपना भाजपा के आइडी स्वामी ने तोड़ दिया था। इसका पुरस्कार उन्हें तत्कालीन वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बनने के रूप में मिला।
पैदल तय करते थे सफर
मुझे गर्व है कि संसद में मेरा प्रतिनिधित्व करने वालों में गुरुकुल घरौंडा के आचार्य स्वामी रामेश्वरानंद का नाम भी शामिल है, जो 1962 में जनसंघ के टिकट पर सांसद बने थे। वे सादगी की ऐसी प्रतिमूर्ति थे कि उन्होंने सरकारी आवास तक नहीं लिया। वह सत्रों के दौरान कार्रवाई में भाग लेने के लिए दिल्ली के बाजार सीताराम स्थित आर्यसमाज मंदिर से संसद तक पैदल ही जाते थे।