Himachal Cabinet Decisions: गांवों में भी आएंगे अब पानी के बिल, बसों में कर्मियों की मुफ्त यात्रा बंद
गांवों में भी आएंगे अब पानी के बिल
हिमाचल में अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी पानी के बिल आएंगे। हर कनेक्शन पर न्यूनतम 100 रुपये का बिल आएगा। जलशक्ति विभाग की खराब हालत सुधारने को मंत्रिमंडल ने पूर्व भाजपा सरकार का विधानसभा चुनाव से पूर्व लिया फैसला पलट दिया। गरीबों विशेषकर विधवाओं, एकल नारियों, दिव्यांगों, 50 हजार से कम सालाना आय वालों के बिल नहीं आएंगे। पानी के मीटर लगाए जाएंगे, जिसके आधार पर बिल लिया जाएगा। राज्य परिवहन निगम की बसों में पुलिस कर्मियों, जेल अधिकारियों और हिमाचल प्रदेश सचिवालय सुरक्षा सेवा के कर्मियों को महज पहचान पत्र दिखाकर यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।मुफ्त यात्रा को बंद कर अब वास्तविक आधार पर ही उनकी आधिकारिक यात्रा खर्च की प्रतिपूर्ति की जाएगी। निजी ऑपरेटरों के 168 रूटों के दोबारा आवंटन के लिए परिवहन नीति 2014 के तहत 60:40 की शर्त में ढील देने का फैसला किया है। यानी 60 फीसदी ग्रामीण और 40 फीसदी शहरी क्षेत्रों में बसें चलाना अनिवार्य नहीं होगा। विभ्न्नि विभागों में 999 पद भरने का फैसला किया गया। करीब पांच घंटे चली कैबिनेट बैठक में 36 एजेंडों पर फैसले लिए गए।कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि पूर्व भाजपा सरकार ने मई में पानी का शुल्क घटा दिया था। इसके चलते जलशक्ति विभाग पर बाेझ पड़ रहा था। विभाग को 800 करोड़ रुपये तो बिजली के बिलों के चुकता करने पड़ रहे हैं। अब सीएम, मंत्री, श्रेणी-एक अधिकारी, आयकर दाता आदि कोई भी हो, उन्हें 100 रुपये महीने के हिसाब जलशक्ति विभाग को बिल देना होगा। पानी के वास्तविक उपयोग आधार पर भी बिल देना होगा।
पूर्व सरकार ने मई 2022 में चुनाव से पहले ग्रामीण इलाकों में पानी का शुल्क नहीं लेने का निर्णय लिया था। एचआरटीसी की बसों में रियायती यात्रा सुविधा का दुरुपयोग रोकने को सभी पुलिस कर्मियों, जेल अधिकारियों और सचिवालय सुरक्षा सेवा के कर्मचारियों को वास्तविक आधार पर आधिकारिक यात्रा की प्रतिपूर्ति की जाएगी। पशु चिकित्सा सहायकों के मुद्दे होंगे हल, बनाई उप समिति : मंत्रिमंडल ने पंचायत पशु चिकित्सा सहायकों के मुद्दों के समाधान और सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए कृषि मंत्री चंद्र कुमार की अध्यक्षता में उप समिति गठित करने का निर्णय किया है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान सदस्य होंगे।
निजी भूमि पर भी होगा खनन, भूमि मालिक को बोली का 80 मिलेगा
खनन के लिए उपलब्ध निजी भूमि पर भूमि मालिकों की सहमति से खनन हो सकेगा। निजी भूमि पर खनन के लिए पट्टे की नीलामी होगी और भूमि मालिकों को वार्षिक बोली का 80 प्रतिशत दिया जाएगा। मंत्रिमंडल ने माइनर मिनरल्ज (कन्सेशन) एंड मिनरल्ज (प्रिवेंशन ऑफ इल्लीगल माइनिंग, ट्रांसपोटेशन एंड स्टोरेज) नियम 2015 में संशोधन करने का निर्णय लिया है। नए प्रावधानों के तहत व्यवस्थित और वैज्ञानिक खनन को बढ़ावा देने तथा खनिजों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नदी तल से खनिज निकालने को मशीनों के उपयोग की अनुमति प्रदान की गई है। अब नदी तल में खनन की गहराई को मौजूदा एक से बढ़ाकर दो मीटर कर दिया गया है।
मानसून के मौसम के बाद कृषि क्षेत्रों से दो मीटर की गहराई तक रेत और बजरी निकालने की अनुमति दी गई है। यह गैरखनन गतिविधि की श्रेणी में आएगा महंगा हो सकता है रेत-बजरी खनन नीति में संशोधन के बाद इलेक्ट्रिक वाहन शुल्क के रूप में पांच रुपये प्रति टन, ऑनलाइन शुल्क पांच रुपये प्रति टन और दूध उपकर के रूप में दो रुपये प्रति टन शुल्क लिया जाएगा। उपकर लगने से रेत और बजरी की कीमतें बढ़ सकती हंै। गैर-खनन गतिविधियों से प्राप्त सामग्री के उपयोग के लिए रॉयल्टी का 75 प्रतिशत (140 रुपये प्रति टन) प्रसंस्करण शुल्क सरकार को मिलेगा। नदी किनारे निर्माण बंद करने के लिए नियम तय करने का भी फैसला लिया है।
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