Himachal News: आठ महीने में बना दीं साइकोट्रोपिक की 3 करोड़ गोलियां
Himachal News: आठ महीने में बना दीं साइकोट्रोपिक की 3 करोड़ गोलियां, बिक्री में गड़बड़झाला, जानें पूरा मामला
हिंदी टीवी, शिमला Published by: Megha Jain Updated Wed, 06 Nov 2024
सोलन के बद्दी में एक फॉर्मा कंपनी ने आठ महीने में साइकोट्रोपिक की तीन करोड़ से अधिक गोलियां बना डालीं। वहीं, इनकी खपत को लेकर गड़बड़झाला सामने आया है। वहीं, कंपनी पर टैक्स चोरी का भी गंभीर आरोप है।
एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स ने सोलन के बद्दी में साइकोट्रोपिक दवाओं की अवैध बिक्री का खुलासा किया है। कंपनी ने आठ महीने में तीन करोड़ से अधिक गोलियां बना डालीं। कंपनी के पास इन्हें बनाने का लाइसेंस है, लेकिन इन दवाओं की कहां-कहां खपत की गई, इसमें बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है।
मामले के तार यूपी, बिहार और महाराष्ट्र तक जुड़े हुए हैं। एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स यूपी, बिहार में दबिश देकर किंगपिन की तलाश कर रही है। इतना ही नहीं, फार्मा कंपनी पर टैक्स चोरी का भी गंभीर आरोप है, जिस दवा के एक डिब्बे की कीमत करीब 4200 रुपये है, उसकी कीमत 225 रुपये दिखाई गई। इसे राज्य सरकार को सीधे तौर पर करोड़ों की चपत लगाई है। मामला सामने आने के बाद थाना सीआईडी शिमला में मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश अमल में लाई जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक यह कार्रवाई हाल ही में ड्रग कंट्रोल विभाग और एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स की ओर से की गई जांच के बाद हुई है। इसमें बड़ी मात्रा में ट्रामाडोल और अन्य नियंत्रित पदार्थों से युक्त दवाइयां अवैध तरीके से बेची जा रही थीं। मेसर्स मेडिक्रॉस लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से संचालित इस फार्मास्युटिकल इकाई ने मेडिडोल एसआर, ट्रोहमा-100, प्रोक्सिमो-स्पास और अन्य साइकोट्रोपिक दवाओं का उत्पादन किया था। इकाई के खिलाफ यह जांच इसलिए शुरू की गई, क्योंकि सूत्रों ने बताया था कि यह दवाइयां बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं, जो मादक पदार्थों के दुरुपयोग का कारण बन सकती हैं।