Indian Railway: लंबी दूरी तय करने वाली ट्रेनों में लगेंगे LHB कोच
Indian Railway: लंबी दूरी तय करने वाली ट्रेनों में लगेंगे LHB कोच, जींद से चलने वाली इन रेलों को मिलेगी सुविधा
हिंदी टीवी न्यूज, जींद (हरियाणा) Published by: Megha Jain Updated Wed, 23 Oct 2024
एलएचबी रैक जर्मन तकनीक है, जो अधिकतर तेज रफ्तार वाली ट्रेनों में इस्तेमाल की जाती है। एलएचबी रैक पुराने आइसीएफ रैक से काफी आरामदायक होते हैं। एलएचबी रैक में डबल सस्पेंशन होता है, जबकि आईसीएफ में ऐसा नहीं होता है।
भारतीय रेलवे ट्रेनों में अत्याधुनिक एलएचबी कोच (रैक) लगाने पर जोर दे रहा है। जींद से बठिंडा रेलवे ट्रैक पर लंबी दूरी तय करने वाली दो ट्रेनों में यह सुविधा दी जाएगी। नए साल पर एक्सप्रेस ट्रेन एलएचबी रैक से संचालित होंगी और यात्रियों को यह सुविधा मिल जाएगी। यह रैक लगने से यात्री पहले की तुलना में अधिक आरामदायक सफर कर सकेंगे।
जींद से गुजरने वाली 12481-82 श्रीगंगानगर इंटरसिटी और 20409-10 दिल्ली-बठिंडा सुपरफास्ट ट्रेन में यह सुविधा दी जाएगी। इन ट्रेनों में एलएचबी रैक के एक सेकंड एसी, चार थर्ड एसी, चार द्वितीय शयनयान, चार साधारण श्रेणी, एक पावरकार और एक गार्ड श्रेणी डिब्बों सहित कुल 15 डिब्बे होंगे। एलएचबी रैक की विशेषता यह होगी कि किसी कारणवश दुर्घटना होने पर ट्रेन के डिब्बे एक-दूसरे पर नहीं चढ़ेंगे। ये रैक लगने के बाद ट्रेनों की रफ्तार में भी इजाफा होगा। आईसीएफ में खुद की बिजली बनाने की क्षमता है। बिजली को बैटरी में स्टोर कर लिया जाता है।
इसी वजह से इस कोच की ट्रेन को 150 तक की स्पीड तक दौड़ा सकते हैं। बिजली के लिए इस कोच के पीछे जेनरेटर कार लगा दी जाती है। आधे में जेनरेटर लगा होता है और आधे कोच में माल लोड किया जाता है। इसकी खासियत यह भी है कि इसमें सेंट्रल कप्लिंग होती है। इस वजह से दो बोगियों को आपस में जोड़ा जाता है। फिलहाल जींद जंक्शन से गुजरने वाली अवध-असम, जम्मूतवी एक्सप्रेस, शरबत दा भला, नांदेड़ एक्सप्रेस, छिंदवाड़ा एक्सप्रेस ट्रेनों में एलएचबी रैक लगे हुए हैं।
आईसीएफ रैक और एलएचबी में क्या है अंदर
एलएचबी रैक जर्मन तकनीक है, जो अधिकतर तेज रफ्तार वाली ट्रेनों में इस्तेमाल की जाती है। एलएचबी रैक पुराने आइसीएफ रैक से काफी आरामदायक होते हैं। एलएचबी रैक में डबल सस्पेंशन होता है, जबकि आईसीएफ में ऐसा नहीं होता है। एलएचबी में एक्स्ट्रा सस्पेंशन भी दिया गया है। एलएचबी को आईसीएफ रैक के मुकाबले दोगुने समय तक मरम्मत करने की आवश्यकता नहीं होती।
इसके अलावा आईसीएफ रैक में एयर ब्रेक का प्रयोग होता है। इससे ब्रेक लगाने पर ट्रेन काफी दूर जाकर रुकती है, जबकि एलएचबी में डिस्क ब्रेक का प्रयोग होता है। आईसीएफ के सस्पेंशन से 70 डेसीबल की आवाज आती है, इसलिए ट्रेन चलने के दौरान कई सारी आवाज सुनने को मिलती हैं। एलएचबी में 60 डेसीबल तक की आवाज होती है, जो आरामदायक भी है और आवाज भी कम करती है।
अधिकारी के अनुसार
नए साल में जींद से गुजरने वाली 12481-82 श्रीगंगानगर इंटरसिटी और 20409-10 दिल्ली-बठिंडा सुपरफास्ट ट्रेन में एलएचबी रैक लगाए जाएंगे। इससे यात्री आरामदायक सफर कर सकेंगे। -अजय माइकल, पीआरओ, डीआरएम दिल्ली।