Kangra में मिले गिद्धों के 506 नए घोंसले, जिला को वल्चर सेफ जोन घोषित करने की तैयारी
Kangra में मिले गिद्धों के 506 नए घोंसले, जिला को वल्चर सेफ जोन घोषित करने की तैयारी
पर्यावरण मित्र कहे जाने वाले गिद्धों को हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा जिला पूरी तरह रास आ गया है। वन्य प्राणी विभाग की तरफ से किए गए सर्वे में कांगड़ा जिला के विभिन्न क्षेत्रों में गिद्धों के 506 नए घोंसले मिले हैं। इन घोंसलों में लगभग 2500 अंडे होने की बात सामने आई है। प्रदेश के अन्य किसी भी जिला में गिद्धों की संख्या कुछ खास नहीं है। मवेशियों पर डाइक्लोफेनेक दवाई का उपयोग होने की वजह से इन्हें अपना शिकार बनाने पर गिद्धों की संख्या कम हो गई थी। एक समय ऐसा था, जब इनकी प्रजाति ही विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई। इसी बीच कांगड़ा जिला में कुछ स्थानों पर गिद्धों के होने की सूचना कई वर्ष पहले मिली थी। तब से लेकर आज तक इनके संरक्षण के लिए वन्य प्राणी विभाग लगाकार कार्य कर रहा है। इनके लिए पौंग झील के आस पास दो फीडिंग स्टेशन भी बनाए गए हैं। इन फीडिंग स्टेशन में क्षेत्र के मृत मवेशियों को पहुंचाया जाता है।
इसके एवज में मवेशी मालिकों को रुपए दिए जाते हैं तथा गिद्धों को खाना मिल जाता है। बता दें कि वर्ष 2012 में डाइक्लोफेनेक दवाई पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस दवाई का इस्तेमाल मवेशियों के उपचार के लिए किया जाता था। जो मवेशी इस दवाई के इस्तेमाल के कुछ दिनों बाद मर जाते थे, उनके शरीर में इस दवाई का असर रह जाता था। ऐसे मृत मवेशियों को खाने के उपरांत डाइक्लोफेनेक दवाई का असर गिद्धों पर देखने को मिला। गिद्धों की किडनी कुछ अरसे बाद खराब हो जाती थी, जिस कारण इनकी मृत्यु होती चली गई। इसके बाद गिद्धों के संरक्षण की तरफ ध्यान दिया गया। अब कांगड़ा को वल्चर सेफ जोन घोषित करने पर भी विचार किया जा रहा है।