अमेठी हत्याकांड: ‘छिन भर में हम बिखर गए…’, जिंदगी तो बेकार हो गई

अमेठी हत्याकांड: ‘छिन भर में हम बिखर गए…’, जिंदगी तो बेकार हो गई; शिक्षक बेटे को याद बिलख पड़ते हैं पिता
हिंदी टीवी न्यूज, रायबरेली Published by: Megha Jain Updated Mon, 07 Oct 2024
रायबरेली के सुदामापुर गांव में चार दिन से मातम छाया हुआ है। एक साथ चार शवों को देखने की पीड़ा हर आंख में झलक रही है। सुनील के परिवार वाले ही नहीं गांव के लोग भी इस गम से उबर नहीं पा रहे हैं। अब वक्त ही इस जख्म पर मरहम लगा पाएगा। शिक्षक सुनील कुमार, पत्नी पूनम, बेटी समीक्षा व सष्टि के कफन में लिपटे शव देखने के बाद बच्चे-बुजुर्ग सभी सदमे में हैं।
गांव के लोगों ने इस तरह की घटना कभी नहीं देखी थी। गांव में छाया सन्नाटा तभी टूटता है जब कोई अधिकारी या नेता यहां पहुंचता है। चार दिन से जिंदगी थम सी गई है। पीड़ित राम गोपाल के दर्द को देख हर कोई नियति के उलाहना देता है। रविवार सुबह भी गांव में मायूसी का आलम था।
छिन भर में हम बिखर गए…
बेटे सुनील की बात सामने आते ही पिता राम गोपाल बिलख पड़ते हैं। वह कहते हैं कि हम मजदूरी किए, भूखे रहे, हमार बेटा भी गरीबी सहकर आगे बढ़ा…। सोचा था कि बेटा आगे बढ़ जाए तो नाम रोशन होगा…। हमार सहारा बनी, पर भगवान ने ऐसा लूटा कि हम छिन भर में बिखर गए…। पुरानी बातें याद कर कहते हैं कि रात को बेटवा का फोन आवत रहै तो पूछत रहै कि पैसे की जरूरत तो नहीं है…। यदि कह देत कि जरूरत हो तो तुरंत फोन से ही पैसा भेज देत रहै…। राम गोपाल ने बताया कि मुख्यमंत्री से मिले रहेन…। वह हमको हर तरह की मदद की बात कहे हैं…। इसी के साथ भावुक होकर कहते हैं कि जिंदगी तो बेकार हो गई, पर का करें, जियै का तो परी…। अब बड़े बेटवा पर जिम्मेदारी है…।
एक साथ उठीं चार अर्थियां तो रो पड़ा पूरा गांव
रायबरेली के गोला गंगा घाट पर जब शिक्षक और उसके परिवार का अंतिम संस्कार हुआ तो सबकी आंखों में आंसू थे। हर जुबां पर यही सवाल कि ऐसा कैसे हो गया, ये तो बहुत गलत हुआ। गोला गंगा घाट पर एक ही चिता पर दंपती के शवों का अंतिम संस्कार हुआ। शिक्षक के बड़े भाई सोनू ने चिता को मुखाग्नि दी। वहीं मासूम बहनों के शवों को नाव के जरिए गंगा की बीच धारा में ले जाकर छोड़ा गया। अंतिम संस्कार के दौरान लोगों का भारी जमावड़ा लगा रहा।
जिले के गदागंज थाना क्षेत्र के सुदामापुर गांव निवासी शिक्षक सुनील कुमार, उसकी पत्नी पूनम भारती, दो बेटियों सृष्टि और समीक्षा की बृहस्पतिवार देर शाम अमेठी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अमेठी में पोस्टमार्टम के बाद शुक्रवार को चार शव गांव पहुंचे थे तो कोहराम मच गया था। शिक्षक सुनील कुमार के भाई सोनू के मुंबई में होने की वजह से शवों का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया था। देर रात सोनू गांव पहुंचा। शनिवार की सुबह करीब आठ बजे एक साथ एक ही परिवार की चार अर्थियां उठी तो कोहराम मच गया।
गांव में सबकी आंखें आंसुओं से भरी थी। मृतक शिक्षक सुनील के पिता रामगोपाल, माता राजवती दहाड़े मारकर रो रही थी। जुबां से यही शब्द निकल रहे थे कि उनके बेटवा, बहू और पोतियों को कहां ले जा रहे हो। मत ले जाओ, यही कहते रो पड़ते। ऊंचाहार तहसील क्षेत्र के गोला गंगाघाट पर शवों को पहुंचाया गया। जितेंद्र त्रिपाठी ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की। दंपती के शवों को ही एक चिता पर रखा गया। करीब 11 बजे मृतक शिक्षक के बड़े भाई ने सुनील, उसकी पत्नी पूनम के शवों में मुखाग्नि देते हुए चिता में आग लगाई। मासूम बहनों के शवों को नाव से गंगा की बीच धारा में ले जाकर छोड़ा गया।
गलियां चीर रही थी सन्नाटा, तैनात रही पुलिस
दो दिन से सुदामापुर गांव का माहौल जहां गमगीन हैं, वहीं शोरशराबा थम गया है। गलियां सन्नाटा चीर रही थीं और ऐसा लग रहा था कि मानों यहां पर कोई नहीं रहता। नजर कोई आ रहा था वह थी पुलिस। पुलिस इसलिए भी चौकन्ना रही कि घटना के बाद कहीं किसी तरह का कोई विरोध न होने पाए।