बारिश-बर्फबारी के बाद खिले हिमाचलवासियों के चेहरे, सूख से मिलेगी राहत और बढ़ेगा कारोबार; चार दिन का येलो अलर्ट जारी

Snowfall in Himachal Pradesh हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा-हिमपात का यलो अलर्ट भी किसानों-बागवानों को सुकून दे रहा है। उम्मीद है कि अब सूखे से राहत मिलेगी। 30 जनवरी से दो फरवरी तक के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान लाहुल स्पीति किन्नौर चंबा कुल्लू मंडी शिमला जिला (शिमला शहर और आसपास के क्षेत्रों सहित) में भारी वर्षा व हिमपात हो सकता है।
HIGHLIGHTS
- हिमाचल में भारी हिमपात-वर्षा का अलर्ट दे रहा किसानों को सुकून
- लोगों को उम्मीद है कि अब सूखे से राहत मिलेगी।
- 30 जनवरी से दो फरवरी तक हिमाचल में येलो अलर्ट जारी शिमला। Snowfall in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा-हिमपात का यलो अलर्ट भी किसानों-बागवानों को सुकून दे रहा है। उम्मीद है कि अब सूखे से राहत मिलेगी। हालांकि, मौसम विभाग ने बिजली गिरने व आंधी चलने के साथ यातायात, बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित होने की आशंका जताई है।
30 जनवरी से दो फरवरी तक हिमाचल में येलो अलर्ट जारी
विभाग के अनुसार 30 जनवरी से चार फरवरी तक दो बार पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा। 30 जनवरी से दो फरवरी तक के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान लाहुल स्पीति, किन्नौर, चंबा, कुल्लू, मंडी, शिमला जिला (शिमला शहर और आसपास के क्षेत्रों सहित) में भारी वर्षा व हिमपात हो सकता है।
हिमाचल में इस दिन होगी बर्फबारी
लोगों, विशेषकर पर्यटकों से अपील की है कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में न जाएं। यातायात बाधित होने से परेशानी हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार 30 जनवरी से प्रदेशभर में पश्चिमी विक्षोभ का असर होगा। 29 जनवरी को भी कुछ क्षेत्रों में हिमपात व वर्षा हो सकती है।
बर्फबारी से लुढ़का पारा
रविवार को कभी बादल छाने व कभी धूप खिलने के बीच चोटियों पर हल्की बर्फ गिरी। इससे अधिकतम तापमान में दो से चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई है। बिलासपुर में चार, ऊना में 2.2 और सोलन में दो डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई है।
Himachal Weather: 30 से 2 तक भारी बर्फबारी व वर्षा की आशंका, कई जिलों में मौसम विभाग का येलो अलर्ट
कृषि-बागवानी को मिलेगी संजीवनी
प्रदेश में करीब दो माह से सूखे जैसी स्थिति है। हालांकि, 26 जनवरी को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात हुआ था, लेकिन इससे राहत नहीं मिली है। बगीचों में नमी नहीं होने से बागवान नए पौधे नहीं लगा पाए हैं। साथ ही सेब की बेहतर पैदावार के लिए आवश्यक चिलिंग आवर्स पूरे होने पर भी आशंका बन गई है। वर्षा नहीं होने से गैर सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की फसल नष्ट हो रही है। अब वर्षा-हिमपात होता है तो राहत मिलेगी।