हिमाचल विधानसभा उपचुनाव: दो राणाओं की अदला-बदली से असमंजस में मतदाता
हिमाचल विधानसभा उपचुनाव: दो राणाओं की अदला-बदली से असमंजस में मतदाता
कांग्रेस को पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के प्रभाव वाले जिला हमीरपुर के तहत सुजानपुर विधानसभा सीट में अपना प्रत्याशी देने में भले ही देर लगी लेकिन अब तस्वीर साफ है। इस सीट पर पूर्व में दल बदल चुके प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है। दोनों ही धूमल के शागिर्द रहे हैं। मुद्दे भी 2022 वाले ही हैं। फैसला अब मतदाताओं को करना है।
राणाओं की सियासी अदला-बदली… और असमंजस में मतदाता। बात हो रही है पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के प्रभाव वाले जिला हमीरपुर के तहत सुजानपुर विधानसभा सीट में होने वाले उपचुनाव की। कांग्रेस को यहां से अपना प्रत्याशी देने में भले ही देर लगी लेकिन अब तस्वीर साफ है। इस सीट पर पूर्व में दल बदल चुके प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है। दोनों ही धूमल के शागिर्द रहे हैं। मुद्दे भी 2022 वाले ही हैं। फैसला अब मतदाताओं को करना है। सुजानपुर सीट पर 2022 में राजेंद्र राणा कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने और इस बार भाजपा से चुनावी मैदान में उतरे हैं। कैप्टन रंजीत राणा ने पिछली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और अब कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में रंजीत ने चुनावी जंग फतह करने के लिए धूमल का आशीर्वाद लिया था लेकिन कांटे के मुकाबले में 399 मतों से मात खा गए थे।
अब कांग्रेस को छोड़कर कमल के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ रहे राजेंद्र राणा ने इस बार धूमल के घर जाकर जीत के लिए उनका आशीर्वाद लिया है। धूमल बेशक पार्टी लाइन के अंदर रहकर भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा के साथ सार्वजनिक तौर पर खड़े हैं, लेकिन उनके समर्थकों का साथ किसे मिलेगा इसे लेकर चर्चाओं का दौर चल पड़ा है। दोनों ही प्रत्याशियों ने दल बदले हैं। लिहाजा, माना जा रहा है कि जिस दल में भितरघात कम होगा, उसके जीतने की संभावना उतनी ही बढ़ जाएगी। बीते चुनावों में कांग्रेस ने जयराम सरकार के खिलाफ सुजानपुर की अनदेखी के मुद्दे को प्रमुखता से लोगों के बीच उठाया था। अब भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस की सुक्खू सरकार को घेरने के प्रयास में है। भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा तीन दफा विधायक रह चुके हैं तो कैप्टन रंजीत राणा भी क्षेत्र की 16 पंचायतों का बीड़ बगेहड़ा जिला परिषद सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। भाजपा सुजानपुर की अनदेखी को मुद्दा बना रही है, वहीं कांग्रेस मुख्यमंत्री फैक्टर के बूते सुजानपुर को फतह करने के प्रयास में है। संवाद
स्वाभिमान की लड़ाई
यह उपचुनाव नहीं बल्कि हमीरपुर और सुजानपुर के हितों और स्वाभिमान की लड़ाई है। दल बदल से लोग तंग आ चुके हैं। पिछले 15 साल में व्यक्तिगत विकास को सुजानपुर में तवज्जो दी गई है, जबकि सुजानपुर के हितों की डेढ़ दशक से अनदेखी ही हो रही है। कभी भाजपा कभी कांग्रेस और कभी आजाद चुनाव लड़कर हित साधे गए हैं। मैं किसी पद के लालच के लिए कांग्रेस में नहीं आया हूं। मुख्यमंत्री सुक्खू और हमीरपुर का साथ देने के लिए चुनावी मैदान में हूं। सुजानपुर और हमीरपुर मुख्यमंत्री के पद को खोने के दर्द को भूला नहीं है। सीएम सुक्खू ने हमीरपुर ही नहीं बल्कि प्रदेशभर में आपदा में सराहनीय कार्य किया है। भ्रष्टाचार के अड्डे को बंद कर राज्य चयन आयोग हमीरपुर को स्थापित कर पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है। सीएम सुक्खू आम लोगों के मुख्यमंत्री हैं। – कैप्टन रंजीत राणा, कांग्रेस प्रत्याशी