Himachal: समझौते के बाद हाईकोर्ट ने सजा रद्द की

Himachal: दोनों पक्षों में समझौते के बाद हिमाचल हाईकोर्ट ने सजा की खारिज, निचली अदालत ने दिया था दोषी करार
हिंदी टीवी न्यूज़, शिमला Published by: Megha Jain Updated Fri, 09 May 2025
गाड़ी को तेज और लापरवाही से चलाने पर दोषी को निचली अदालत ने सजा दी। वहीं, हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के तहत याचिकाकर्ता को निचली अदालत की ओर से दोष सिद्ध होने पर उसकी सजा की अपील वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
हिमाचल हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के तहत याचिकाकर्ता को निचली अदालत की ओर से दोष सिद्ध होने पर उसकी सजा की अपील वाली याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने समझौते की पुष्टि करते हुए ये फैसला दिया। वीरेंद्र सिंह ने कहा कि न्यायालय इस तरह की शक्तियों का प्रयोग दोष सिद्ध के बाद के मामलों में कर सकता है, जब अपील लंबित हो, क्योंकि दोष सिद्धि की अंतिम स्थिति अभी भी विचाराधीन है।
उल्लेखनीय है कि गाड़ी को तेज और लापरवाही से चलाने पर दोषी को निचली अदालत ने सजा दी है। सजा के खिलाफ उसने जिला अदालत में अपील दायर की। जिला अदालत ने उसकी अपील खारिज कर दी। अपील के खिलाफ हाईकोर्ट में आपराधिक पुनर्विचार याचिका दायर की गई। साथ ही याचिकाकर्ता ने दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के तहत सजा को खारिज करने के लिए याचिका दायर की। अदालत ने दोनों याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए जो एफआईआर पुलिस स्टेशन शिमला में 2018 में दायर की गई थी, उसे खारिज कर दिया है।
पुलिस ने शिकायतकर्ता के बयान पर दोषी व्यक्ति के खिलाफ तेज गति से गाड़ी चलाना और ऐसे कृत्य से चोट पहुंचाना जिससे मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में हो, उसके तहत शिकायत दर्ज की थी। याचिकाकर्ता पर भारतीय दंड संहिता की धारा 279 और 337 के तहत मुकदमा चलाया गया। निचली अदालत ने इसे दोषी ठहराते हुए कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी। अदालत ने कहा कि जब पक्षकारों ने मामले में समझौता करके अपने सभी विवादों को समाप्त कर दिया है तो इस न्यायालय की ओर से उनके मामले को निपटाने का सम्मान किया जाना चाहिए। अदालत ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद जो एफआईआर वर्ष 2018 में दर्ज की गई है उसको रद्द करने के आदेश दिए हैं। साथ ही इस सजा के निर्णय को भी निरस्त किया है।