हिमाचल: करुणामूलक नौकरी में आय सीमा बढ़ेगी, अनाथों को प्राथमिकता

Himachal: करुणामूलक आश्रितों को नौकरी के लिए आय सीमा बढ़ाने की तैयारी, जिनके माता-पिता नहीं, उन्हें प्राथमिकता
हिंदी टीवी न्यूज़, शिमला। Published by: Megha Jain Updated Wed, 28 May 2025
करुणामूलक आश्रितों के लिए कई नियमों में छूट देने की तैयारी शुरू हो गई है। कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि जल्द सीएम के निर्देशों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
हिमाचल प्रदेश के करुणामूलक आश्रितों के लिए सरकारी नौकरी की राह आसान करने को कई नियमों में छूट देने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके तहत वार्षिक आय सीमा में बढ़ोतरी की जा सकती है। कैबिनेट सब कमेटी ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को सिफारिशें सौंप दी हैं। जिन आश्रितों के माता-पिता नहीं हैं, उन्हें भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी। कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि जल्द सीएम के निर्देशों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। एक बार रिजेक्ट केस पर दोबारा विचार न करने की शर्त हटाने पर अभी फैसला नहीं हुआ है।
सरकारी नौकरी के लिए बीते कई वर्षों से करुणामूलक आश्रित संघर्ष कर रहे हैं। इन्हें राहत देने के लिए जल्द कैबिनेट बैठक में एजेंडा लाया जाएगा। आश्रितों की मांगों पर विचार करने के लिए शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट सब कमेटी की ओर से सिफारिशें दे दी गई हैं। सरकारी नौकरी में रहते किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उस परिवार को करुणामूलक आधार पर नौकरी प्रदान करने की व्यवस्था है। करुणामूलक आधार पर योग्यता के आधार पर सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में इस प्रकार के 3,234 मामले लंबित पड़े हैं। विभागों में 1,531 और निगमों-बोर्डों में 1,703 मामलों में आश्रित उच्च शिक्षा प्राप्त होने के कारण उच्च पदों पर नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं।
उच्च अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशों पर एक नई करुणामूलक रोजगार नीति बनाने पर विचार जारी है। सेवा के दौरान अपने परिवार के सदस्यों को खोने वाले लोगों को रोजगार देने के लिए उदार और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण से कार्य किया जा रहा है। करुणामूलक आश्रितों को नौकरी देने के लिए तय 62,500 रुपये सालाना आय शर्त को खत्म किया जा सकता है। आय सीमा को 2.50 लाख रुपये तक तय किया जा सकता है। हालांकि, जयराम सरकार के समय में 22 सितंबर 2022 को जारी अधिसूचना को अभी वापस लेने पर विचार नहीं हुआ है। पूर्व सरकार ने इस अधिसूचना के तहत एक बार रिजेक्ट केस पर दोबारा विचार नहीं करने का फैसला लिया है। इस अधिसूचना के कारण कई करुणामूलक आश्रित नौकरी की दौड़ से बाहर हो रहे हैं।