जागरण संवाददाता, शिमला। सुप्रीम कोर्ट से एनजीटी के फैसले पर रोक के बाद अब राजधानी में राजनीति भी पूरी तरह से गरमा गई है कांग्रेस सरकार दावा कर रही है कि कोर्ट में सही तरीके से पैरवी करने के कारण ही शहर के लोगों को राहत मिल पाई है।

वहीं भाजपा भी अपनी ओर से दावा करने में पीछे नहीं है। उनका तर्क है कि लगभग 45 साल बाद शहर के लिए डेवलपमेंट प्लान तैयार करने का काम बीजेपी के सरकार के समय में हुआ और इसी प्लान के दम पर सुप्रीम कोर्ट ने शिमला में ढाई मंजिल से ज्यादा भवन बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

भाजपा कार्यालय ही नहीं बल्कि राज्य सचिवालय तक से दावा किया जा रहा है कि इसमें वर्तमान सरकार के प्रयास की जीत है। हालांकि सचिवालय में कुछ लोग पूर्व सरकार के प्रयासो की सराहना भी कर रहे हैं। वहीं पूर्व पूर्व शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने भी दावा किया है कि उनके समय में इसका प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसके आधार पर यह अब इसकी मंजूरी सुप्रीम कोर्ट से मिली है।

प्लानिंग एरिया के 50 हजार से ज्यादा भू मालिकों को था इसका इंतजार

राजधानी शिमला ही नहीं शहर के आसपास के क्षेत्र में जिन लोगों ने जमीनी खरीद रखी थी। उन लोगों को भी यह इंतजार था कि वह दो से ढाई मंजिल भवन बनाने की बजाए चार मंजिल भवन बनाना चाहते थे। अब उनका यह सपना पूरा हो जाएगा। राज्य सरकार के अधिसूचना जारी होन के बाद वह अब ढाई मंजिल की बजाए 4 मंजिल के भवनों का निर्माण कर सकेंगे।