Lok Sabha Election: हिमाचल कांटे की टक्कर वाली सीटों पर फिर मोदी मैजिक
Lok Sabha Election: हिमाचल कांटे की टक्कर वाली सीटों पर फिर मोदी मैजिक का सहारा लेना चाह रही भाजपा
मंडी सीट पिछली बार भाजपा ने इसी मैजिक से जीती थी, पर कुछ समय बाद ही उपचुनाव में छिटककर कांग्रेस के पास चली गई थी। शिमला में मंत्रियों और विधायकों का संख्या बल इस बार भाजपा के लिए नई चुनौती है।
संसदीय क्षेत्र शिमला और मंडी में दो रैलियां करवाकर भाजपा मोदी मैजिक का सहारा लेना चाह रही है। मंडी सीट पिछली बार भाजपा ने इसी मैजिक से जीती थी, पर कुछ समय बाद ही उपचुनाव में छिटककर कांग्रेस के पास चली गई थी। शिमला में मंत्रियों और विधायकों का संख्या बल इस बार भाजपा के लिए नई चुनौती है। कांटे की टक्कर वाली इन सीटों पर अब पिछले आम चुनाव की तरह फिर मोदी का प्रभाव आजमाया जा रहा है। हालांकि, कांग्रेस आपदा में केंद्र से हिमाचल की अनदेखी को मुद्दा बनाकर भाजपा की इस रणनीति का जवाब दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 मई को शिमला लोकसभा सीट के नाहन और संसदीय क्षेत्र मंडी की रैलियों में आ रहे हैं। इनमें भीड़ जुटाने के लिए भाजपा नेता जी-जान से जुट गए हैं। लोकसभा चुनाव में जनसभाओं को संबोधित करने के लिए मोदी पहली बार पहुंच रहे हैं।
इससे पहले वह विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए करीब आधा दर्जन जनसभाओं में आए थे। सूत्रों के अनुसार प्रत्याशी घोषित करने से पहले भाजपा की उन 160 कमजोर सीटों में मंडी और शिमला भी शामिल रही हैं, जिनमें अधिक काम करने की जरूरत जताई जा रही थी। मंडी को इसलिए मजबूत नहीं माना गया, क्योंकि राज्य में भाजपा सरकार होने के बावजूद यह सीट कांग्रेस झटक ले गई थी। हालांकि, इसकी वजह वीरभद्र के देहांत के बाद उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के पक्ष में चली सहानुभूति लहर मानी गई। इसके बावजूद यह भाजपा के लिए एक झटका इसलिए था कि मंडी तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह क्षेत्र था। तभी इस बार यहां से कंगना के रूप में नया चेहरा देकर इस खोए किले को वापस जीतने की योजना बनी है।
मंडी से विक्रमादित्य सिंह को कांग्रेस ने भाजपा के सामने फिर एक और चुनौती की तरह उतारा है। इसी तरह अगर पिछले तीन कार्यकाल में बेशक भाजपा की शिमला सीट पर हैट्रिक लगी हो, मगर उससे पहले यह कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रह चुकी है। शिमला संसदीय क्षेत्र ने करीब डेढ़ साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 13 विधायक दिए, जबकि भाजपा यहां से केवल तीन सदस्यों को ही विधानसभा भिजवा सकी। एक निर्दलीय ने जरूर भाजपा का दामन थाम लिया है। सुक्खू सरकार में पांच मंत्री इस संसदीय क्षेत्र को दिए गए हैं, जो अन्य लोकसभा सीटों की तुलना में सर्वाधिक हैं। तीन मुख्य संसदीय सचिवों और विधानसभा उपाध्यक्ष के अलावा कैबिनेट रैंक के पदों पर भी कुछ नेताओं को इसी क्षेत्र से नियुक्तियां दी गई है। विधायकों की अधिक संख्या और राज्य सरकार में प्रतिनिधित्व की इसी ताकत के भरोसे कांग्रेस चुनाव लड़ रही है।