उत्तराखंड: जंगल में दुर्लभ फिशिंग कैट दिखी, वन विभाग ने किया बचाव और पुनर्वास

उत्तराखंड के जंगलों में दिखी दुर्लभ फिशिंग कैट: वन विभाग ने बिल्ली को बचाकर किया पुनर्वास का कार्य, तस्वीर
हिंदी टीवी न्यूज़, हल्द्वानी Published by: Megha Jain Updated Fri, 04 Apr 2025
तराई पूर्वी डिवीजन में वन विभाग को दुर्लभ फिशिंग कैट मिली है। वन विभाग की टीम ने इसे बचाकर पुनर्वास का कार्य शुरू कर दिया है।
तराई पूर्वी डिवीजन में वन विभाग को दुर्लभ फिशिंग कैट मिली है। वन विभाग की टीम ने इसे बचाकर पुनर्वास का कार्य शुरू कर दिया है। यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची के अंतर्गत संरक्षित है।
15 मार्च को बराकोली सितारगंज रेंज में गश्त के दौरान वनकर्मियों को एक संकटग्रस्त प्रजाति की बिल्ली गंभीर अवस्था में मिली। बिल्ली अपने शरीर का पिछला हिस्सा नहीं उठा पा रही थी। वनकर्मियों ने उसकी स्थिति को देखते हुए तुरंत नैनीताल रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया। उपचार के बाद अब वह पूरी तरह सुरक्षित है। उसके स्वस्थ होने के बाद वन विभाग की टीम ने उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया है। प्रशिक्षु आईएफएस आदित्य रत्न ने बताया कि फिशिंग कैट को बचाने में पश्चिमी सर्कल के मुख्य वन संरक्षक, तराई ईस्ट के डीएफओ, डीएफओ नैनीताल और चिकित्सा स्टाफ और बराकोली सितारगंज रेंज के कर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। फिशिंग कैट मध्यम आकार की होती है जो मुख्य रूप से आर्द्रभूमि (वेटलैंड) में पाई जाती है। भारत में यह पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में पाई जाती है। उत्तराखंड में इसकी उपस्थिति अत्यंत दुर्लभ मानी जाती है।
ग्रेटर काॅर्बेट पहला फोटोग्राफिक प्रमाण
प्रशिक्षु आईएफएस आदित्य रत्न ने बताया कि ग्रेटर कॉर्बेट लैंडस्केप में दुर्लभ फिशिंग कैट का पहला फोटोग्राफिक प्रमाण अक्तूबर 2023 में दर्ज किया गया था। इससे पहले व्यापक सर्वेक्षण के बावजूद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में इस प्रजाति को दर्ज नहीं किया गया था। इससे इस खोज का महत्व और बढ़ जाता है।
आईयूसीएन ने फिशिंग कैट को किया है संकटग्रस्त घोषित
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने फिशिंग कैट को संकटग्रस्त असुरक्षित श्रेणी में सूचीबद्ध किया है। जो इसके वन्यजीवन में लुप्त होने के उच्च जोखिम को इंगित करता है। इनके अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा आर्द्रभूमि के विनाश, प्रदूषण और मानवीय अतिक्रमण के कारण उनके आवासों की हानि है।