Bhunda Maha Yagya 2024: ढोल-नगाड़ों की धुनों पर भूंडा महायज्ञ शुरू
Bhunda Maha Yagya 2024: ढोल-नगाड़ों की धुनों पर भूंडा महायज्ञ शुरू, नाचते-गाते देवताओं के साथ पहुंचे देवलू
हिंदी टीवी न्यूज़, रोहड़ू। Published by: Megha Jain Updated Fri, 03 Jan 2025
Bhunda Maha Yagya 2024: वीरवार को देवता बकरालू के मंदिर में भूंडा महायज्ञ शुरू हो गया। शुक्रवार को शिखा पूजन और फेर रस्म अदा की जाएगी। शनिवार को महायज्ञ की मुख्य रस्म बेड़ा निभाई जाएगी।
ढोल, नगाड़ों और रणसिंगों की धुनों के बीच वीरवार को देवता बकरालू के मंदिर में भूंडा महायज्ञ शुरू हो गया। चार दशक बाद आयोजित किए जा रहे महायज्ञ के लिए स्पैल वैली में करीब एक लाख लोग जुटेंगे। वीरवार को पहले दिन से ही यहां लोगों की भीड़ जुटने लग गई। शुक्रवार को शिखा पूजन और फेर रस्म अदा की जाएगी। शनिवार को महायज्ञ की मुख्य रस्म बेड़ा निभाई जाएगी। इस रस्म में बेड़ा यानि एक विशेष व्यक्ति मूंजी (घास) से बने रस्से पर लकड़ी की काठी पर फिसलकर एक छोर से दूसरे छोर पर पहुंचेंगे। विशेष व्यक्ति सूरत राम नौवीं बार देवताओं और देवलुओं की मौजूदगी में बेड़ा रस्म को निभाएंगे। शुक्रवार को शिखा पूजन और फेर रस्म के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी मंदिर में मौजूद रहेंगे।
वीरवार को पहले दिन वाद्ययंत्रों की धुनों पर नाचते-गाते देवलू देवताओं के साथ महायज्ञ में शरीक होने पहुंचे। तलवारों और डंडों के साथ नाचते हुए खूंद (देवलू) देवताओं की पालकी के साथ-साथ चले। देवता बकरालू महाराज के इतिहास में पहली बार चार दशक में महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले भूंडा महायज्ञ का आयोजन 70 से 80 साल के अंतराल में होता रहा है। दलगांव में देवता के मंदिर में सुबह से ही आम लोगों की आवाजाही शुरू हुई। दोपहर बाद खूंदों के पहुंचने पर कार्यक्रम शुरू हुआ। पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार सबसे पहले रंटाड़ी गांव के देवता मोहरिश अपने देवलुओं के साथ के दलगांव पहुंचे। उसके बाद समरकोट के पुजारली गांव से देवता महेश्वर और बछूंछ गांव से बौंद्रा देवता महायज्ञ के लिए देवता बकरालू के मंदिर पहुंचे।