Himachal News: निगम ने किया है तबादला नीति में बदलाव, जनजातीय क्षेत्रों में सालों से डटे HRTC कर्मचारियों की होगी वापसी
Himachal Pradesh News सालों से जनजातीय क्षेत्रों में डटे HRTC कर्मचारियों की अब घर वापसी होगी। तबादलों पर प्रतिबंध हटने के बाद निगम प्रबंधन ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। 485 से 500 के करीब कर्मचारी ऐसे हैं जो जनजातीय क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें 386 के करीब कर्मचारियों को तीन व इससे अधिक वर्ष का समय यहां पर अपनी सेवाएं देते हुए हो गया है।
शिमला। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। सालों से जनजातीय क्षेत्रों में डटे कर्मचारियों की अब घर वापसी होगी। यानि उन्हें गृह जिला के आसपास या फिर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के डिपुओं में तैनात किया जाएगा। तबादलों पर प्रतिबंध हटने के बाद निगम प्रबंधन ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
HIGHLIGHTS
- सालों से जनजातीय क्षेत्रों में डटे कर्मचारियों की अब घर वापसी होगी।
- पूर्व सरकार ने इसके लिए रिलिवर की शर्त भी लगाई थी।
- 485 से 500 के करीब कर्मचारी ऐसे हैं जो जनजातीय क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। सालों से जनजातीय क्षेत्रों में डटे कर्मचारियों की अब घर वापसी होगी। यानि उन्हें गृह जिला के आसपास या फिर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के डिपुओं में तैनात किया जाएगा। तबादलों पर प्रतिबंध हटने के बाद निगम प्रबंधन ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
485 से 500 के करीब कर्मचारी ऐसे हैं जो जनजातीय क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें 386 के करीब कर्मचारियों को तीन व इससे अधिक वर्ष का समय यहां पर अपनी सेवाएं देते हुए हो गया है। हालांकि जनजातीय क्षेत्रों में तीन साल सेवाकाल की शर्त का नियम पहले से तय है। लेकिन ज्यादातर कर्मचारी इन क्षेत्रों में सेवाएं देने से कतराते हैं। जिसके चलते यहां पर पहले से जो कर्मचारी तैनात है वह सालों तक यहीं पर डटे रहते हैं।
पूर्व सरकार ने इसके लिए रिलिवर की शर्त भी लगाई थी। बावजूद इसके भी कर्मचारी जुगाड़ से अपना तबादला रूकवा लेते थे। बीते सप्ताह आयोजित एचआरटीसी की निदेशक मंडल (बीओडी) की बैठक में इस मसले पर विस्तृत चर्चा करने के बाद निर्णय लिया गया था कि तीन साल से ज्यादा समय तक किसी को भी जनजातीय क्षेत्रों में नहीं रखा जाएगा। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने निगम प्रबंधन निर्देश दिए हैं कि जल्द ही ऐसे कर्मचारियों जिनको इन क्षेत्रों में तीन साल व इससे ज्यादा का समय हो गया है उन्हें अन्य स्थानों पर ट्रांसफर करें।
यह भी है कारण
जनजातीय क्षेत्रों में कई कर्मचारी इनमें चालक परिचालक के अलावा तकनीकी कर्मचारी सालों से सेवाएं दे रहे हैं। जनजातीय भत्ता सहित अन्य तरह के भत्ते इन कर्मचारियों को मिलते हैं। पिछले काफी समय से इन भत्तों का नियमित तरीके से भुगतान नहीं हुआ। निगम ने जब इसका भुगतान किया तो इस पर लाखों की देनदारियां निगम पर पड़ी। जिसके चलते निगम ने इसमें बदलाव का निर्णय लिया है।
इन क्षेत्रों को भी करे जनजातीय क्षेत्रों में शामिल
एचआरटीसी कर्मचारियों की संयुक्त समन्वय समिति ने निगम प्रबंधन से चंबा के पांगी व भरमौर, शिमला के नेरवा, चौपाल, छौहारा व जुब्बल कोटखाई के कुछ रूटों सहित सिरमौर के संगड़ाह क्षेत्र के रूटों को जनजातीय क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है। कर्मचारियों का कहना है कि यह क्षेत्र दुर्गम हैं और इन पर कई कर्मचारी सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन्हें अन्य रूटों पर भेजा जाना चाहिए।