Himachal: हाटकोटी माता मंदिर में सालाना साढ़े सात करोड़ रुपये चढ़ावा, हिमाचल सरकार को इन मंदिरों से भी मिलती है मोटी रकम
हिमाचल प्रदेश के शिमला में सरकार की ओर से अधिग्रहित मंदिरों में हर साल करोड़ों रुपये के चढ़ावे चढ़ाए जाते हैं। इसी कड़ी में रामपुर बुशहर में भीमाकाली मंदिर समूह में सबसे ज्यादा धन अर्जित होती है। इसके तहत आने वाले सभी मंदिरों में करीब साढ़े आठ करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ा है तो वहीं अकेले हाटकोटी माता मंदिर साढ़े सात करोड़ से अधिक का चढ़ावा चढ़ाया गया है।शिमला। जिला शिमला में हिमाचल सरकार की ओर से अधिग्रहित मंदिरों में चढ़ावे से करोड़ों रुपये की आय प्राप्त होती है। शिमला के जुब्बल उपमंडल में स्थित हाटकोटी मंदिर और रामपुर बुशहर में भीमाकाली मंदिर समूह में सबसे ज्यादा आय होती है।भाषा कला एवं संस्कृति विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2023 एक जनवरी से 31 दिसंबर तक में भीमाकाली मंदिर समूह व अन्य मंदिर समूह में सबसे ज्यादा आय हुई है, लेकिन यह आय मंदिर समूह के तहत सभी मंदिर से हुई है। जबकि हाटकोटी माता के मंदिर में अकेले 7,45,47,300 करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ा है।
वहीं भीमाकाली मंदिर समूह के तहत सभी मंदिरों में 8,33,00,554 रुपये का चढ़ावा चढ़ा है। भीमाकाली मंदिर समूह के तहत श्री भीमाकाली जी मंदिर सराहन, श्री रघुनाथजी, श्री नर सिंह जी, श्री लंकड़ा देवता जी, श्री दुर्गा माता मंदिर करांगला है।
इसके अलावा रामपुर बुशहर में स्थित मंदिर समूह के तहत श्री अयोध्यानाथ मंदिर, बौद्ध मंदिर धुमगिर, जानकी माता गुफा मंदिर, रघुनाथ जी बड़ा अखाड़ा/लम्बू अखाड़ा, नरसिंह जी मंदिर शामिल है। इसके अलावा दत्तात्रेय स्वामी मंदिर दत्तनगर और दुर्गा मंदिर श्राईकोटी, रामपुर को मिलाकर सभी मंदिर समूहों की कुल मिलाकर 8,33,00,554 रुपए की आय हुई है।
राजधानी शिमला के तारादेवी मंदिर, जाखू मंदिर और संकट मोचन मंदिर में भी श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है। यहां पर भी हर साल श्रद्धालु करोड़ों रुपये का चढ़ावा चढ़ाते है। वर्ष 2023 एक जनवरी से 31 दिसंबर 2023 तक तारादेवी मंदिर में 3, 76,31,452 रुपये, जाखू मंदिर में 3,93,85,109 रुपये की आय हुई है।
वहीं संकट मोचन मंदिर में चढ़ावे से 59,83,240 रुपये की आय चढ़ावे से प्राप्त हुई है। इसके अलावा शिमला जिला में कई ऐसे मंदिर हैं, जो हिमाचल सरकार के पास अधिग्रहित नहीं है। इन मंदिरों में भी लाखों रुपये का चढ़ावा हर साल चढ़ाया जाता हैं।